वंशलोचन की तासीर ठंडी होती है. इसलिए जिन लोगों के हाथ पैर में जलन होती है, उनके लिए यह काफी फायदेमंद होता है. ये पित्त को शांत करता है.
कुछ बच्चों को मिट्टी खाने की आदत होती है. इस आदत से निजात दिलाने में वंशलोचन काफी फायदेमंद होता है. वंशलोचन को पीस लें और शहद में मिलाकर इसकी गोलियां बनाकर बच्चों को दें.
बंशलोचन को तबाशीर के नाम से भी जाना जाता है. यह देखने में सफेद रंग का क्रिस्टल जैसा होता है. बंशलोचन बांस के तनों (गांठो) को काटकर निकाला जाता है.
बंशलोचन में कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है. बंशलोचन को कई नामों से जाना जाता है, इसे तबासीर, बांस काबर, वंशकपूर, बांस कपूर भी कहा जाता है. इंग्लिश में इसे Bamboo Silica कहा जाता है.
बंशलोचन में कैल्शियम के साथ सोडियम, जिंक, कॉपर, पोटाशियम, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं.
कैल्शियम की भरपूर मात्रा बंशलोचन में होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं. इसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी खा सकते हैं.
बढ़ती उम्र के साथ होने वाले जोड़ों के दर्द, गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं में भी बंसलोचन फायदा करता है.
बंशलोचन में कोई भी स्वाद नहीं होता है, इसे आप दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं.
हड्डियों की मजबूती के अलावा बंशलोचन खाने से मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण हुए बुखार से भी राहत मिलती है. बंशलोचन तथा गिलोय को शहद में मिलाकर चटाने से बुखार खत्म होता है।