विदुर नीति के अनुसार नरक के तीन द्वार काम, क्रोध और लोभ हैं. इन तीनों के कारण व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ पाता. इसका त्याग करना चाहिए.
विदुर नीति के अनुसार संदेह में फंसे व्यक्ति को धन नहीं देना चाहिए. वह दूसरों के धन का भी सही इस्तेमाल नहीं करेगा.
विदुर नीति के अनुसार काम सोच विचार कर शुरू करना चाहिए. पूरे मन से किए काम में सफलता मिलती है.
विदुर नीति के अनुसार बलवान यादि क्षमा करे और कमजोर की सहायता करें, ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद स्वर्ग जाता है.
विदुर नीति के अनुसार जो भरोसेमंद न हो उस पर दोबारा भरोसा न करें. हमेशा विश्वसनीय व्यक्ति पर ही भरोसा करें. जीवन सफल होगा.
विदुर नीति के अनुसार अच्छे कर्म करने वाले की संगति में रहें, बुरे कर्म करने वालों से हमेशा दूर रहें.
विदुर नीति के अनुसार अपनी पांचों इंद्रियों को जो व्यक्ति अपने वश न रखे वो कभी सफल नहीं हो सकता है.
विदुर नीति के अनुसार हमेशा बीमार रहने वाले के लिए उसकी बीमारी का अंत ही उसके सुख की प्राप्ति है.
विदुर नीति के अनुसार आलसी लोगों की धन से मदद न करें. ऐसे लोग कभी भी धन नहीं लौटा सकते हैं.
विदुर नीति के अनुसार सम्मान मिलने पर अति प्रसन्न न होने वाला और न सम्मान न मिले तो गुस्सा नही करने वाला व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ है. वह जीवन में सफल होता है.
डिस्क्लेमर: पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.