विषकन्याओं का रहस्य

Padma Shree Shubham
May 10, 2024

इतिहास

वैदिक साहित्य, लोक कथाओं के साथ ही इतिहास में विषकन्याओं का जिक्र मिलता है जोकि एसी स्त्री होती थी जो बचपन से ही थोड़ा-थोड़ा विष का सेवन कर विषैली हो जाती थी.

खतरनाक

प्राचीन समय में विषकन्याएं राजा-महाराजाओं के पास हुआ करती थीं जो खतरनाक दुश्मनों का अंत करने या उनके राजफाश करने के लिए इस्तेमाल में लाइ जाती थी.

अभ्यास

इन विषकन्याओं को विषैले वृक्ष या फिर जीव-जंतुओं के बीच रखने का अभ्यास करवाया जाता और उन्हें नृत्य-गीत, साहित्य, श्रृंगार कला में पारंगत किया जाता था. विष कन्याओं का जिक्र हिंदू धर्मग्रंथ कल्कि पुराण में भी मिलता है.

छल विद्याओं में माहिर

विषकन्याओं को हर तरह की छल विद्याओं में माहिर किया जाता था जिससे कि राजा-महाराजा इनका इस्तेमाल अपने शत्रुओं की हत्या करवाने के लिए कर सकें.

मगध साम्राज्य

इतिहास में विषकन्याओं के बारें में जिक्र आता है जिसमें मगध साम्राज्य में चाणक्य कई विषकन्याओं के संपर्क हुआ करते थे और शत्रुओं को मारने के लिए उनका इस्तेमाल करते थे.

थोड़ी-थोड़ी खुराक

किसी भी लड़की को विषकन्या बनाने के लिए बचपन से ही उसे विष की थोड़ी-थोड़ी खुराक दी जाती थी. इतना कम खुराक कि वह शरीर को नुकसान न पहुंचाए और पच जाए. विष का गुण उसके शरीर में आ जाए.

साधारण व्यक्ति

धीरे-धीरे विष शरीर में इतना बढ़ जाता था कि कोई साधारण व्यक्ति उसके पास जाए तो जीवित न बच पाए, विष कन्याओं को दुश्मन राजा के पीछे लगाकर उन्हें प्रेम जाल में फंसाकर मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.

रोग प्रतिरोधक क्षमता

विषकन्याओं के शरीर में काफी ज्यादा रोग प्रतिरोधक क्षमता होती थी लेकिन अपनी मृत्यु के समय ही वो थोड़ी सी बीमार पड़ती थीं. विष के कारण इन्हें कभी रोग संक्रमण नहीं होते थे.

विष कन्या का जिक्र

सातवीं सदी में एक नाटक 'मुद्राराक्षस' में भी विष कन्या का जिक्र आता है. 'शुभवाहुउत्तरी कथा' नाम के एक संस्कृत ग्रंथ में कामसुंदरी वैसे तो राजकन्या थी लेकिन वह भी एक विष कन्या थी.

Disclaimer

यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और माध्यमों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को मानने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह ले लें. ये सभी एआई से निकाले गए हैं, इन्हें वास्तिक चित्र न माना जाए. यह एक अनुमान है

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