आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के समकालीन थे. उनकी गिनती महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ में होती थी.
चाणक्य को कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र की रचना की थी.
चाणक्य नीति में उन्होंने उन लोगों के बारे में बताया है, जो जीवन भर दुखी रहते हैं और कभी तरक्की नहीं कर पाते.
आत्मद्वेषात् भवेन्मृत्यु: परद्वेषात् धनक्षय:। राजद्वेषात् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषात् कुलक्षय:।।
आचार्य चाणक्य ने दसवें अध्याय के ग्यारवें श्लोक में बताया है कि जो शख्स अपनी आत्मा से नफरत करता है, उसका नाश हो जाता है.
जो व्यक्ति दूसरे के धन के प्रति द्वेष भाव रखता है, वह जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाता है.
इसके अलावा जो शख्स राजा को दुश्मन मानते हैं वह हमेशा दुखी रहते हैं और उनके कुल का नाश हो जाता है.
चौदहवें श्लोक में उन्होंने बताया है कि माता मां लक्ष्मी पिता भगवान विष्णु जैसे हैं, उनको धरती पर ही स्वर्ग समान सुख प्राप्त है.
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