सावन के महीने में शिव के आंसू कहे जाने वाले रुद्राक्ष को धारण करने से कई तरह के शारीरिक, मानसिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते है. लेकिन इसके लिए रुद्राक्ष का असली होना बहुत जरूरी है.
रुद्राक्ष असली है या नकली इसकी पहचान दाने की सतह, मूल के पास छेद, रुद्राक्ष के घनत्व के अलावा जल और ऊष्म परीक्षण से किया जा सकता है.
असली रुद्राक्ष को पानी में डालने पर वह तैरता नहीं है, बल्कि डूब जाता है. नकली रुद्राक्ष पानी में तैर सकता है.
असली रुद्राक्ष की सतह पर प्राकृतिक धारियां और निशान होते हैं, जबकि नकली रुद्राक्ष पर ये निशान सामान्य रूप से नहीं होते या हाथ से बनाए गए होते हैं.
असली रुद्राक्ष में मूल के पास स्वाभाविक रूप से बना छेद होता है, जो सीधा और साफ होता है. नकली रुद्राक्ष में छेद असामान्य या आर्टिफिशियल हो सकता है.
असली रुद्राक्ष का घनत्व अधिक होता है और यह अपनी भारीपन से पहचाना जा सकता है, जबकि नकली रुद्राक्ष हल्का होता है.
असली रुद्राक्ष को हाथ में मसलने पर यह गर्म हो जाता है, जबकि नकली रुद्राक्ष के साथ ऐसा नहीं होता.
असली रुद्राक्ष में सामान्यत: एक से अधिक बीज होते हैं, जो इसके भीतर दिखाई देते हैं. नकली रुद्राक्ष में यह बीज नहीं होते.
विद्यार्थियों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक माना जाता है. यह बुध ग्रह से संबंधित है और बुद्धिमत्ता, स्मरण शक्ति और एकाग्रता में सुधार करता है.
यह रुद्राक्ष विद्या और ज्ञान का प्रतीक है. इसलिए सावन में इसे धारण करने से विद्यार्थियों को आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है.
यह रुद्राक्ष भी विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद होता है. इसे धारण करने से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है और उनके शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार होता है.
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