अमरमणि त्रिपाठी को पूर्वांचल के डॉन कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी का राजनीतिक वारिस माना जाता था.
अमरमणि त्रिपाठी छह बार विधायक रह चुके हैं. यूपी में सरकार किसी भी रही हो वे हर कैबिनेट का हिस्सा रहे.
अमरमणि त्रिपाठी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राजनीति की शुरुआत की, मगर बाद में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा.
1996 में पहली बार अमरमणि त्रिपाठी ने महाराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद चार बार इसी सीट से विधायक रहा.
अपने बेटे अमनमणि त्रिपाठी की शादी में अमरमणि बेटे और बहू को आशाीर्वाद देते हुए. अमनमणि नौतनवा से विधानसभा चुनाव जीता था.
9 मई 2003 को लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में 24 वर्षीय कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि मधुमिता 7 महीने की प्रेग्नेंट थीं. उनके पेट में बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का बच्चा पल रहा बच्चा था.
इस हत्याकांड के बाद मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग का खुलासा हुआ, उस वक्त अमरमणि सपा की सरकार की सरकार में मंत्री थे.
2007 में अमरमणि और उनकी पत्नी को मधुमिता की हत्या का दोषी पाया गया और अदालत ने उन्हें आजीवन कैद की सजा सुनाई.
20 साल बाद जेल में अच्छे आचरण की वजह से अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को जेल से रिहा किया जा रहा है.