ट्रेन से आपने एक न एक बार सफर जरूर किया होगा. लंबे सफर के लिए इसे बेहतर विकल्प माना जाता है.
ट्रेन को भारत की लाइफलाइन कहा जाता है. भारतीय रेलवे की गिनती दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में होती है.
ट्रेन से सफर किया हो तो देखा होगा कि ट्रेन के कोच में लाल, नीले और हरे रंग के कोच लगे होते हैं.
लाल रंग के कोच को LHB यानी लिंक हॉफमैन बुश कहा जाता है.
साल 2000 में इन कोच को जर्मनी से भारत लाया गया. पंजाब में इनकी फैक्ट्री है.
लाल रंग के स्लीपर कोच में 80 सीटें होती हैं. जबकि एसी-3 में 72 सीटें होती हैं.
इन कोच की मैक्सिमम पर्मिसिबल स्पीड 200 किलोमीटर प्रतिघंटा और ऑपरेशनल स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा है.
ये कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं. साथ ही इनमें डिस्क ब्रेक का भी इस्तेमाल किया जाता है.
ये बफर काउलिंग सिस्टम से लैस होते हैं, जिसके चलते एक्सीडेंट की स्थिति में ये कोच एक दूसरे पर नहीं चढ़ते.
ये नीले रंग की तुलना में ज्यादा सेफ होते हैं.कम वजन होने के चलते स्पीड ज्यादा होती है, इसके चलते सुपरफास्ट ट्रेन में इस्तेमाल किया जाता है.