बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है. इस खूबसूरत जगह पर भगवान के दर्शन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बद्रीनाथ धाम रहस्यों से भरा हुआ है.
वैसे तो हिंदू धर्म में शंखनाद शुभ माना जाता है. शंख भगवान विष्णु को अति प्रिय भी है, लेकिन यहां शंखनाद नहीं किया जाता.
बद्रीनाथ में शंख न बजाने के पीछे दो पौराणिक कथा प्रचलित है. इसके साथ ही वैज्ञानिक कारण भी है.
तुलसी भवन में मां लक्ष्मी ध्यान मुद्रा में थी. तभी भगवान विष्णु ने शंख चूर्ण का वध किया और वो मां लक्ष्मी का ध्यान भंग नहीं करना चाहते थे, तो उन्होंने शंख का नाद नहीं किया.
केदारनाथ में राक्षसों का काफी प्रकोप था. मनुष्य से लेकर ऋषि-मुनि तक को उन्होंने परेशान कर था. ऐसे में अगस्त्य मुनि ने केदारनाथ में राक्षसों का वध करना आरंभ कर दिया था.
तभी वतापी और अतापी जान बचाने के लिए मंदाकिनी नदी की मदद ली और वहीं पर वो शंख में छिप गए. ऐसे में मुनि ने शंख नहीं बजाया क्योंकि दोनों राक्षस आसानी से भाग जाते.
इस धाम में शंख न बजाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. सर्दियों के मौसम में यहां पर अधिक बर्फ पड़ने लगती है. ऐसे में अगर शंख का नाद किया जाता है, तो इसकी ध्वनि से बर्फ में दरार पड़ सकती है.
शंखनाद से बर्फ का तूफान आ सकता है. ऐसे में पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड होने से जान माल को काफी नुकसान हो सकता है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.