जब भी हम किसी भी धार्मिक स्थल पर जाते हैं तो हमें एक आंतरिक शांति और सुख की अनुभूति होती है. यहां जानें क्यों होता है यह अलग सा अहसास.
मंदिर में जाकर अचानक हम अपने अंदर जो आत्मिक शांति और सुख महसूस करते हैं. इसका कारण है धार्मिक स्थलों का वातावरण और इस वातावरण से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा.
मंदिरों के निर्माण बहुत ही सोच-समझकर वास्तु के अनुसार किया जाता है, यहाँ किसी भी तरह का वास्तु दोष नहीं होता इसलिए हमारा मन सकारात्मकता और शांति से भर जाता है.
मंदिर में अलग अलग धातुएं हमें अलग तरह की ऊर्जा देती है. तांबे के छत्र और पाट रखने के पीछे भी यही कारण होता था कि तांबा बिजली और चुंबकीय तरंगों को अवशोषित करता है.
मंदिर में परिक्रमा भी वह क्रिया है जिससे हम सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करते हैं और मन को बेहद सुकून मिलता है.
कई ज्योतिष विद्वान इसे आयनिक क्रिया बताते हैं जिससे व्यक्ति के शारीरिक रसायन परिवर्तित हो जाते हैं और कई बार उसे बिमारियों तक से मुक्ति मिल जाती है.
शंख और घंटी की आवाज हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थय के लिए उत्तम है जो हमें पॉजिटिव एनर्जी से भर देती हैं.
माना जाता है कि यहां की जाने वाली प्रार्थनाओं, मनोकामनाओं का एक संग्रह बन जाता है क्योंकि वह गुंबद से टकराकर आप तक पंहुचती हैं फिर गुंबद तक जाती हैं, इसलिए यह सीधे ईश्वर तक पहुंचती है.
मंदिर में जाकर प्रार्थना करने से भी हमें शक्ति मिलती है. मन में विश्वास पैदा होता है और सकारात्मक भाव जाग्रत होने लगते हैं जिससे हमें शांति मिलती है.