चाणक्य नीति: प्रेम से ही शुरू होते हैं सारे दुख!

Sharda singh
Mar 26, 2024

375 ईसा पूर्व में पाटलीपूत्र (पटना) में जन्मे आचार्य चाणक्य अपने चाणक्य नीति के लिए प्रसिध्द हैं. इसमें उन्होंने समाज, राजनीति से लेकर कर्म, प्रेम और रिलेशनशिप के बारे में भी बताया है.

आचार्य चाणक्य ने प्रेम को सारे दुखों का कारण बताया है. हालांकि प्रेम को आमतौर पर खुशी और संतुष्टि से जोड़ा जाता रहा है.

यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्। स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्।।

इसका मतलब है कि व्यक्ति सिर्फ उसी से डरता है जिससे वह प्रेम करता है. प्रेम सारे दुखों को मूल कारण है. इसलिए यदि सुखी रहना है तो इससे मुक्त रहना चाहिए

प्रेम इतना शक्तिशाली होता है कि इसमें पड़ने वाला हर व्यक्ति को घूटने टेकने ही पड़ते हैं.

प्रेम एक तरह के वशीकरण की तरह होता है. व्यक्ति के लिए सारी चीजें इसी के इर्द-गिर्द घूमती है.

एक सही इंसान से प्रेम जहां व्यक्ति को स्ट्रेंथ देता है वहीं गलत इंसान से प्रेम कमजोर भी बना देता है.

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