जानिए सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले गांधी जी की प्रेरणादायक जीवन गाथा
Riya Bawa
Sep 30, 2023
Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. वह भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता और 20वीं सदी में अहिंसा के पैगंबर थे. गांधी जी एक धार्मिक परिवार में जन्मे और उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया.
October 2, 1869
महात्मा गांधी का जन्म पश्चिमी भारत के पोरबंदर में हुआ था. उनके पिता पोरबंदर शहर के दीवान और एक सक्षम प्रशासक थे. उनकी मां पूरी तरह से धर्म में लीन थी. मोहनदास वैष्णव धर्म से ओत-प्रोत घर में पले-बढ़े.
1882
13 वर्ष की उम्र में गांधी जी ने कस्तूरबा कपाड़िया से विवाह किया, कस्तूरबा ने बाद में अपने पति के कई सिविल डिसओबीडीएन्स अभियानों में भाग दिया था.
1888–91
गांधीजी ने लंदन में कानून की पढ़ाई की, वहाँ उनकी मुलाकात नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ और समाज सुधारक एनी बेसेंट से हुई और उन्होंने बाइबिल और भगवद्गीता भी पढ़ी, जिसे उन्होंने सर एडविन अर्नोल्ड द्वारा इसके अंग्रेजी अनुवाद में पहली बार पढ़ा.
1893–94
1893 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय लॉ फर्म में नौकरी के दौरान वहां होने वाले नस्लीय भेदभाव देखा और वकालत करने लगे. 1894 में उन्होंने भारतीय अधिकारों के लिए आंदोलन करने के लिए नटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की.
1906–15
1906 में दक्षिण अफ्रीका में एक भेदभावपूर्ण कानून पारित किया गया जिसमें सभी भारतीयों को सरकार के साथ पंजीकरण कराने या सजा भुगतने के लिए कहा गया था लेकिन गांधी के नेतृत्व में भारतीय समुदाय ने सत्याग्रह शुरू किया और 1915 में गांधीजी भारत लौट आये.
1919–24
1919 में गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राजनीतिक दल के नेता बने.1920 में उन्होंने ब्रिटेन के खिलाफ असहयोग अभियान शुरू किया, जिसमें भारतीयों ने ब्रिटिश वस्तुओं, अदालतों और सरकार का बहिष्कार किया, जिसके कारण उन्हें 1922 से 1924 तक कारावास की सजा हुई.
1930–31
गांधीजी ने हजारों भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों के खिलाफ नमक सत्याग्रह शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप 60,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 1931 में ब्रिटिश वायसराय और गांधी ने गांधी-इरविन संधि पर हस्ताक्षर किए.
1932
एक नए वायसराय के तहत, गांधी को फिर से कैद कर लिया गया. जेल में रहते हुए उन्होंने नए संविधान में तथाकथित अछूतों को अलग करने के ब्रिटिश फैसले का विरोध करने के लिए उपवास किया था जिससे देश में भावनात्मक उथल-पुथल हुई और अंग्रेज नीति बदलने के लिए सहमत हो गए.
1942–44
1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में फिर से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए और युद्ध में ब्रिटेन की सहायता के बदले भारत की तत्काल स्वतंत्रता की मांग की.1942 से 1944 तक उन्हें फिर से जेल में रखा गया.
August 15, 1947
हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम करने वाले गांधीजी के लिए, ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रत होने के बाद भारत और पाकिस्तान का विभाजन, एक बड़ी निराशा रही, जिससे दंगे भड़के और गांधी फिर से अहिंसा की ओर मुड़े और तब तक उपवास करते रहे जब तक कि दिल्ली के दंगाइयों ने शांति की शपथ नहीं ले ली.
January 30, 1948
दिल्ली में प्रार्थना के लिए जाते समय, गांधी की एक युवा हिंदू कट्टरपंथी ने हत्या कर दी, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मेल-मिलाप कराने के गांधी के प्रयासों से नाराज था.