Urdu Poetry in Hindi: मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं, ज़िंदगी भी...

Siraj Mahi
Dec 15, 2024

मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं, ज़िंदगी भी जान ले कर जाएगी

मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है, ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है

पी लेंगे ज़रा शैख़ तो कुछ गर्म रहेंगे, ठंडा न कहीं कर दें ये जन्नत की हवाएँ

'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ, सब के सब दोस्त हैं दुश्मन की तरफ़

हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब, कोई पर्दा है न चिलमन ये कोई क्या जाने

है देखने वालों को सँभलने का इशारा, थोड़ी सी नक़ाब आज वो सरकाए हुए हैं

जितनी वो मिरे हाल पे करते हैं जफ़ाएँ, आता है मुझे उन की मोहब्बत का यक़ीं और

बस इसी धुन में रहा मर के मिलेगी जन्नत, तुम को ऐ शोख़ न जीने का क़रीना आया

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है

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