Jaun Elia Poetry: तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी... जौन एलिया के 10 शेर

Siraj Mahi
Dec 14, 2024

जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँ तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते

ये बहुत ग़म की बात हो शायद अब तो ग़म भी गँवा चुका हूँ मैं

हो रहा हूँ मैं किस तरह बर्बाद देखने वाले हाथ मलते हैं

रोया हूँ तो अपने दोस्तों में पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ

हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम

मुझ से अब लोग कम ही मिलते हैं यूँ भी मैं हट गया हूँ मंज़र से

गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो

क ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई

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