"ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर..." मुनीर नियाजी के शेर

Siraj Mahi
Sep 01, 2024

'मुनीर' अच्छा नहीं लगता ये तेरा, किसी के हिज्र में बीमार होना

किसी अकेली शाम की चुप में, गीत पुराने गा के देखो

ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो

तुम मेरे लिए इतने परेशान से क्यूँ हो, मैं डूब भी जाता तो कहीं और उभरता

वो जिस को मैं समझता रहा कामयाब दिन, वो दिन था मेरी उम्र का सब से ख़राब दिन

कल मैं ने उस को देखा तो देखा नहीं गया, मुझ से बिछड़ के वो भी बहुत ग़म से चूर था

किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते, सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते

ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे, सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ, शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या

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