मुसलमानों के लिए इतना खास क्यों हैं अलविदा जुमा?

कुरान

रमजान मुसलमानों का पाक महीना है. इस महीने की बहुत खासियत है. इसी महीने में पवित्र कुरान नाजिल हुई थी. रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार को अलविदा जुमा कहा जाता है.

5 अप्रैल

इस साल भारत में 5 अप्रैल को अलविदा जुमा पड़ रहा है. यूं तो जुमे की नमाज की बहुत अहमियत है लेकिन अलविदा जुमा मुसलमानों में अलग महत्व रखता है. अलविदा जुमा को 'जमात-उल-विदा' कहा जाता है.

आखिरी जुमा

रमजान में मुसलमान पूरे महीने रोजे रखते हैं. इस महीने में 4 से 5 जुमे होते हैं. आखिरी जुमे को अलविदा जुमा मनाया जाता है. अलविदा जुमा रमजान के आखिरी अशरे में पड़ता है.

अलविदा खुतबा

अलविदा जुमा का मतलब है रमजान को अलविदा कहना. अलविदा जुमा के दिन जो इमाम नमाज पढ़ते हैं वह इस दिन खास खुतबा पढ़ते हैं.

साफ सफाई

अलविदा जुमा के दिन मस्जिदों को सजाया जाता है. मुस्लिम लोग इस दिन अच्छे कपड़े पहनते हैं और खुशबू लगाते हैं. इसके बाद जुमा की नमाज पढ़ने जाते हैं.

आधी ईद

एक मान्यता के मुताबिक अलविदा के दिन आधी ईद होती है. इस दिन बच्चों में जुमा को लेकर खूब जोश होता है. बड़े बूढ़े भी पाबंदी से जुमे की नमाज का एहतिमाम करते हैं.

गुनाहों की माफी

मान्यता है कि अलविदा जुमा के दिन दुआ मांगने से कुबूल होती है. अलविदा जुमा की नमाज पढ़ने से पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं.

नोट-

यह लेख आम जानकारी पर आधारित है. हदीस और कुरान से अलविदा जुमा का कोई प्रमाण नहीं मिलता है. ज्यादा जानकारी के लिए विषय से संबंधित जानकार से मिलें.

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