इन उपचुनावों में 14 में से भाजपा और उसके सहयोगी सिर्फ 3 सीटें जीत पाए. इसमें 2 लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में ही भाजपा को जीत मिली. बाकी की जगह उसे और उसकी सहयोगी पार्टी को हार मिली.
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नई दिल्ली : 2019 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार में अब तक की सबसे ज्यादा सीटों के लिए उप चुनाव के नतीजे 31 मई को आए. इन नतीजों ने भाजपा सरकार की नींद उड़ा दी है. सभी सीटों को मिलाकर कुल 14 सीटों के लिए चुनाव हुए. इनमें 10 विधानसभा और 4 लोकसभा सीट के नतीजे आए. 14 में से भाजपा और उसके सहयोगी सिर्फ 3 सीटें जीत पाए. इसमें 2 लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में ही भाजपा को जीत मिली. बाकी की जगह उसे और उसकी सहयोगी पार्टी को हार मिली.
उपचुनावों में मिली हार ने भाजपा हाईकमान के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. दरअसल भाजपा को सबसे बड़ा दर्द दिया कैराना उपचुनाव में मिली हार ने. लोकसभा में भाजपा के पास सबसे ज्यादा सांसद यूपी से हैं. ऐसे में एक के बाद एक कर उसे यूपी में तीसरी हार मिली है. भाजपा के लिए चिंता की बात इसलिए भी है कि उसने न सिर्फ कैराना और महाराष्ट्र की गोंदिया सीट गंवाई, बल्कि यहां पर उसका वोट प्रतिशत भी गिर गया.
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अगर हम बात 2014 के चुनावों की करें तो कैराना में भाजपा को 50.6 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन इस बार उसे सिर्फ 46.5 फीसदी वोट मिले. फूलपुर और गोरखपुर की तरह विपक्ष ने यहां भी घेराबंदी कर भाजपा को पिछले आंकड़े तक नहीं पहुंचने दिया. वहीं महाराष्ट्र में भाजपा ने पालघर लोकसभा सीट जीत ली, लेकिन गोंदिया भंडारा सीट गंवा दी. लेकिन इन दोनों ही सीटों पर भाजपा का वोट शेयर पिछले चुनावों के मुकाबले 9 और 23 प्रतिशत गिरा. हालांकि उस समय भाजपा और शिवसेना साथ में लड़े थे, जबकि इस बार आमने सामने थे.
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बात अगर 10 विधानसभा सीटों की करें तो 2 सीटों को छोड़कर भाजपा जहां भी चुनाव लड़ी, उसका वोट शेयर गिरा. पश्चिम बंगाल की मेहशताला विधानसभा सीट पर तृणमूल को जीत मिली. लेकिन भाजपा के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई. वह सीपीएम को छोड़कर दूसरे नंबर पर पहुंच गई.
वहीं नूरपुर विधानसभा में भी भाजपा का वोट शेयर बढ़ा. पिछले चुनावों में यहां भाजपा को 39 फीसदी वोट मिले थे. इस बार उसका वोट प्रतिशत 47.2 तक बढ़ गया, लेकिन फिर भी उसकी उम्मीदवार अवनी सिंह को हार का सामना करना पड़ा.