पत्नी ने हरिवंश नारायण सिंह से छुड़वाई थी बैंक की नौकरी
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पत्नी ने हरिवंश नारायण सिंह से छुड़वाई थी बैंक की नौकरी

हरिवंश सिंह की पत्नी ने कहा कि वह अचानक पत्रकारिता से राजनीति में आए.

पत्नी ने छुड़वाई थी हरिवंश से बैंक की नौकरी.

पटना : हरिवंश नारायण सिंह के राज्यसभा के उपसभापति निर्वाचित होने पर उनकी पत्नी ने प्रसन्नता जाहिर की है. जी-मीडिया से बात करते हुए आशा सिंह ने कहा कि मेरे लिए यह काफी खुशी की बात है. उन्होंने हरिशंव सिंह को सरल और साधारण व्यक्ति बताया.  साथ ही उन्होंने उनके जीवन से जुड़ी कुछ यादें भी साझा की.

आशा सिंह ने कहा, 'मैंने हमेशा उनसे कहा जो भी करें स्वतंत्र होकर करें. परिवार मैं संभाल लूंगी.' साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने ही उनकी बैंक की नौकरी छुड़वाई.

हरिवंश सिंह की पत्नी ने कहा कि वह अचानक पत्रकारिता से राजनीति में आए. साथ ही उन्हें गांधी के विचार प्रभावित बताया. इससे पहले सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हरिवंश सिंह की जमकर तारीफ की.

हरिवंश का जन्‍म 1956 में बलिया के मध्‍यमवर्गीय परिवार में हुआ. बीएचयू से इकोनॉमिक्‍स में एमए और पत्रकारिता में डिप्‍लोमा किया. कॉलेज के दिनों में वह समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण (जेपी) से प्रभावित हुए. 1974 में जेपी आंदोलन में सक्रिय हिस्‍सा लिया.

40 साल की लंबी पत्रकारिता की शुरुआत 1977 में टाइम्‍स ऑफ इंडिया के ट्रेनी जर्नलिस्‍ट के रूप में शुरू की थी. उसके बाद मुंबई में धर्मयुग पत्रिका से जुड़े और 1981 तक वहां काम किया. हरिवंश ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि उन्‍होंने 500 रुपये में अपनी पहली नौकरी शुरू की थी.

1981-84 के दौरान इन्‍होंने बैंक ऑफ इंडिया में काम किया. उसके बाद अमृत बाजार पत्रिका की मैगजीन रविवार में असिस्‍टेंट एडीटर बने. 1989 में उन्‍होंने उषा मार्टिन समूह के संघर्षरत अखबार प्रभात खबर की रांची में कमान संभाली. जब वह प्रभात खबर पहुंचे तो उस वक्‍त इस अखबार का सर्कुलेशन महज 400 कॉपी ही था. 

1990 में जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने तो वह उनके एडीशनल मीडिया एडवाइजर बने. 25 वर्षों तक प्रभात खबर की कमान संभालने के बाद 2014 में राज्‍यसभा के लिए चुने गए. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उनको राज्‍यसभा भेजा. रोचक बात यह है कि जब उनको राज्‍य सभा भेजा गया तो वह जदयू के प्राथमिक सदस्‍य भी नहीं थे.