उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का महापर्व संपन्न
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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का महापर्व संपन्न

लोक आस्था और सूर्य उपासना का पर्व छठ सोमवार सुबह उगते सूर्य के अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन अघ्र्य के बाद व्रतियों ने अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' किया। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सोमवार बड़ी संख्या में व्रतधारी गंगा सहित विभिन्न नदियों के तट और जलाशयों के किनारे पहुंचे और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की। इसके बाद व्रती अपने घर आकर जल-अन्न ग्रहण कर 'पारण' किया और 36 घंटे का निर्जल उपवास समाप्त किया।

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का महापर्व संपन्न

नई दिल्ली: लोक आस्था और सूर्य उपासना का पर्व छठ सोमवार सुबह उगते सूर्य के अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन अघ्र्य के बाद व्रतियों ने अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' किया। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सोमवार बड़ी संख्या में व्रतधारी गंगा सहित विभिन्न नदियों के तट और जलाशयों के किनारे पहुंचे और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की। इसके बाद व्रती अपने घर आकर जल-अन्न ग्रहण कर 'पारण' किया और 36 घंटे का निर्जल उपवास समाप्त किया।

छठ को लेकर चार दिनों तक पूरा बिहार भक्तिमय रहा। मोहल्लों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। राजधानी पटना की सभी सड़कें दुल्हन की तरह सजाई गई। राजधानी की मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की सफाई की गई। छठ को लेकर पटना से लेकर पूरे राज्य में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। गंगा के तटों से लेकर जलाशयों के घाटों पर अभूतपूर्व सुरक्षा के इंतजाम देखे गए।

बिहार के मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, बेतिया, मोतिहारी सहित सभी जिलों के शहरों से लेकर गांवों तक लोग चार दिनों तक छठ पर्व की भक्ति में डूबे रहे। औरंगाबाद के प्रसिद्घ देव सूर्य मंदिर परिसर में लाखों श्रद्घालु छठ पर्व मनाने पहुंचे थे। शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का यह महापर्व प्रारंभ हुआ था।