पटना यूनिवर्सिटी : PK की कैंपस पॉलिटिक्स में चौतरफा घिरी सरकार, निशाने पर नीतीश कुमार
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पटना यूनिवर्सिटी : PK की कैंपस पॉलिटिक्स में चौतरफा घिरी सरकार, निशाने पर नीतीश कुमार

सहयोगी बीजेपी के साथ-साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एक स्वर में लेकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है.

प्रशांत किशोर के वीसी से मिलने पर गरमाई बिहार की राजनीति. (फाइल फोटो)

पटना : बिहार के पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव को लेकर कल (बुधवार को) वोट डाले जाएंगे, लेकिन उससे पहले बिहार की सियासत गरमा गई है. वजह है जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) का अचानक विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) से मिलना. पीके और वीसी की मुलाकात ने विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को भी हमलावर होने का मौका दे दिया. आलम यह है कि अपनी ही सरकार के खिलाफ बीजेपी के कई विधायक धरने पर बैठे हैं और पीके की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं.

पीके के इस नए कैंपस पॉलिटिक्स के कारण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला हो रहा है. सहयोगी बीजेपी के साथ-साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एक स्वर में लेकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं बीजेपी तो इसकी शिकायत लेकर देर रात बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने पहुंच गए.

प्रशांत किशोर की कैंपस में एंट्री के कारण छात्र संगठनों में नाराजगी है. छात्र जेडीयू को छोड़कर लगभग सभी छात्र संगठनों ने इसे मुद्दा बना दिया है. सभी संगठनों ने चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया. वीसी से मुलाकात कर लौटने के दौरान प्रशांत किशोर पर छात्रों ने पथराव किया. इस दौरान उनकी गाड़ी के शीशे टूट गए. पीके ने ट्वीट कर हमले का आरोप अखिल भारती विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर लगाया.

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पटना यूनिवर्सिटी कैंपस में चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू है. इसके बावजूद प्रशांत किशोर वीसी से मिलने के लिए पहुंच गए. इसस नाराज भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल देर रात राजभवन मार्च किया. बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन से मिलकर इसकी शिकायत की. प्रतिनिधि मंडल में बीजेपी विधायक सह भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष नितिन नवीन, भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय और विधायक जिवेश कुमार कुमार शामिल थे.

बात राज्यपाल से मुलाकात पर ही खत्म नहीं हुई. बीजेपी के कई विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ पटना के पीरबहोर थाने के बाहर धरने पर बैठ गए. धरने पर बैठने वालों में विधायक नितिन नवीन, अरुण सिन्हा, संजीव चौरसिया सहित कई अन्य नेता शामिल थे. उनका कहना था कि 'इवेंट मैनेजर' छात्र राजनीति से दूर रहें, वरना बीजेपी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर भी एबीवीपी के पक्ष में उतरे और राजनीतिक साजिश के तहत पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहे एबीवीपी के उम्मीदवारों को पुलिस के द्वारा प्रचार करने से रोकने का आरोप लगाया.

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सरकार में सहयोगी के साथ-साथ आरजेडी और आरएलएसपी भी नीतीश कुमार पर हमलावर है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बीजेपी विधायकों के धरने के बहाने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा, 'मुख्यमंत्री नीतीश जी की प्रशासनिक असफलता और तानाशाही के ख़िलाफ़ बीजेपी विधायक पटना में धरने पर बैठे हैं. अगर महागठबंधन में रहते हुए राजद विधायक ऐसा कर देते तो श्री श्री नैतिकतावादी चाचा जी की अंतरात्मा जागकर अबतक राजभवन में पहुंच चुकी होती.' एक दूसरे ट्वीट में तेजस्वी यादव ने लिखा, 'नीतीश जी, छात्र संघ चुनाव में आप इतने निम्न स्तर तक जाकर हस्तक्षेप कर रहे हैं कि आपके सहयोगी दल बीजेपी के आठ विधायक, मंत्री दो दिन से आपके और सरकार के ख़िलाफ प्रेस रिलीज जारी कर थू-थू कर रहे हैं. आपने अपने मित्र और महंगे निजी नौकरों तक को वीसी के पास भेजकर छात्र चुनाव में घिन्न मचा दिया है.'

मामला गरमाता देख आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी कैंपस की इस पॉलिटिक्स में कूद पड़े. उन्होंने नीतीश कुमार को उनके कॉलेज दिनों की याद दिलाते हुए पूछा कि कैसे आने वाली पीढ़ी भरोसी करेगी कि आप उसी विश्वविद्यालय के छात्र हैं. उन्होंने लिखा 'गौरवशाली पटना विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं. यूनिवर्सिटी की गरिमा व छात्रों की छवि धूमिल होते देखना दुखद है. जनाब! छात्रसंघ का चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर पुलिस-प्रशासन को दंडवत कर दिया है. इतनी फजीहत के बाद अगर चुनाव जीत भी गए तो क्या प्रधानमंत्री बन जाएंगे?'

2014 लोकसभा चुनाव और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कथित अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर का इस कदर कैंपस पॉलिटिक्स में उतरना कितना कारगर सिद्ध होगा यह तो आने वाला समय ही तय करेगा, लेकिन उनके इस कदम ने विपक्ष सहित सरकार में सहयोगी बीजेपी को भी नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर होने का एक मौका दे दिया है.