बिहार के 3.7 लाख कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के लिए खुशखबरी, SC ने नीतीश सरकार को दिया झटका
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar369079

बिहार के 3.7 लाख कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के लिए खुशखबरी, SC ने नीतीश सरकार को दिया झटका

बिहार के 3.7 लाख नियोजित टीचरों के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत की खबर आई. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि समान काम के लिए समाज वेतन दिया जाए.

नियोजित टीचरों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नीतीश सरकार से कहा-समान काम के लिए समान वेतन दें.

पटना/नई दिल्ली: बिहार के 3.7 लाख नियोजित टीचरों के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत की खबर आई. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि समान काम के लिए समाज वेतन दिया जाए. जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार सरकार की 11 याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि वह मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाए और कमेटी इन टीचरों की योग्यता के आधार पर सैलरी स्ट्रक्चर तय करे. 

  1. पटना हाईकोर्ट ने नियोजित टीचरों को स्थाई शिक्षकों के बराबर वेतन देने को कहा था
  2. बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
  3. सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के हक में सुनाया फैसला, कहा- समान काम के लिए समान वेतन दें

मामले में अगली सुनवाई 15 मार्च को
कोर्ट ने कमेटी से चार सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट अब मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को करेगा. बिहार सरकार की ओर से वकील गोपाल सिंह, मनीष कुमार, मुकुल रोहतगी, गोपाल सुब्रमण्यम ने पैरवी की. वहीं नियोजित टीचरों की ओर से वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण व अन्य ने पैरवी की. 

बिहार सरकार ने हाईकोर्ट फैसले को दी थी चुनौती
दरअसल, बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दायर कर पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें एक समान कार्य के लिए एक समान वेतन देने का आदेश किया था. आपको बता दें कि इन टीचरों को समान वेतन देने का फैसला पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को दिया था. राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 15 दिसंबर को विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी. हालांकि बिहार माध्यमिक टीचर संघ समेत कई टीचर संगठनों ने इससे पहले से ही कैविएट फाइल कर रखी थी.

ये भी पढ़ें: बिहार में डरे फर्जी डिग्री वाले गुरुजी, 1400 ने दिया इस्तीफा

नियोजित टीचरों के वकील ने दी ये दलील
सुप्रीम कोर्ट में नियोजित टीचरों की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी कि ऐसे टीचर सरकारी टीचरों के बराबर काम करते हैं. नियोजित टीचरों की सेवा शर्त, सैलरी आदि राज्य सरकार ही तय करती है. चूंकि दोनों टीचर एक तरह के काम करते हैं, ऐसे में समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए. समान काम के लिए समान वेतन न देना गैर संवैधानिक है. नियोजित टीचरों की ओर से कहा गया कि समान वेतन देने पर राज्य सरकार को 9,800 करोड़ रुपये अतिरिक्त आर्थिक भार आएगा. साथ ही यह भी दलील दी गई कि टीचरों पर होने वाले खर्च में से 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देती है. राज्य सरकार केंद्र के फंड को भी खर्च नहीं करती.

ये भी पढ़ें: खुले में शौच करने वालों की टीचर करेंगे फोटोग्राफी, पढ़ाना छोड़ अब सुबह-शाम खेतों का करेंगे दौरा

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह राज्य को शिक्षा के मद में जो फंड आवंटित करते हैं, उसका ब्योरा पेश करें. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन साथ ही राज्य के चीफ सेक्रटरी को एक कमिटी बनाने के लिए कहा है, ताकि इस बात का आंकलन किया जा सके कि नियोजित टीचरों को नियमित सरकारी टीचरों के बराबर वेतन के भुगतान से राज्य सरकार पर कितना अतिरिक्त वित्तीय बोझ आएगा.

Trending news