भारत के वो दो मुस्लिम राष्ट्रपति जो पूरा नहीं कर पाए अपना कार्यकाल
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भारत के वो दो मुस्लिम राष्ट्रपति जो पूरा नहीं कर पाए अपना कार्यकाल

देश में अब तक तीन मुस्लिम राष्ट्रपति बन चुके हैं. लेकिन दो राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे. सिर्फ एपीजे अब्दुल कलाम ही हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है.

भारत के वो दो मुस्लिम राष्ट्रपति जो पूरा नहीं कर पाए अपना कार्यकाल

नई दिल्ली: 25 जुलाई भारतीय इतिहास का सबसे अहम दिन माना जाता है. प्रत्येक पांच साल बाद 25 जुलाई को देश के नए महामहिम का शपथग्रहण समारोह होता है. आज, 25 जुलाई को भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की शपथ ली. वह देश की दूसरी महिला और पहली आदिवासी महिला होंगी. इससे पहले प्रतिभा पाटिस देश की राष्ट्रपति बन चुकी हैं. भारतीय इतिहास में जाएं तो हम पाएंगे कि इस दिन कई हस्तियों ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. इसीलिए यह दिन काफी अहम माना जाता है. वहीं दो ऐसे भी राष्ट्रपति रहे जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

सबसे पहले 25 जुलाई को देश के 6वें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. इसके बाद जिन भी राष्ट्रतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया, उन सभी ने 25 जुलाई को शपथ ली. नीलम संजीव रेड्डी के बाद से अब तक देश के कुल 8 राष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया है. 24 जुलाई को रामनाथ कोविंद का भी कार्यकाल पूरा हो गया. 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति पद की शपथ ली. CJI एनवी रमना ने उन्हें शपथ दिलाई.

पहली बार राष्ट्रपति की शपथ कब और किसने ली
आजाद भारत में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के तौर पर 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. 1957 में वे दोबारा राष्ट्रपति चुने गए. डॉक्टर प्रसाद 12 साल तक इस पद पर रहे. 13 मई 1962 को उनका कार्यकाल पूरा हुआ और डॉक्टर राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति बने. उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद दो ऐसे राष्ट्रपति चुने गए, जो अपना कार्यकाल किन्हीं कारणों से पूरा नहीं कर पाए. इसमें डॉ. जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का नाम शामिल है. डॉ जाकिर हुसैन ने 13 मई, 1967 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और 3 मई, 1969 को उनका निधन हो गया. इसके बाद 24 अगस्त 1969 को वी.वी. गिरी नए राष्ट्रपति बने, लेकिन इनके बाद इस पद को संभालने वाले फखरुद्दीन अली अहमद देश के 5वें राष्ट्रपति बने, जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. 

'रिटायरमेंट' के बाद क्या करते हैं पूर्व राष्ट्रपति, क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं?

कांग्रेस सरकार के इमरजेंसी के बाद जब राष्ट्रपति का चुनाव हुआ तो पूर्व में जनता पार्टी के नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, और अपना कार्यकाल पूरा किया. उनके बाद जितनी भी हस्तियां रहीं उन्होंने अपना राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा किया. 

25 जुलाई को शपथ लेने वाले राष्ट्रपति
1. नीलम संजीव रेड्डी (25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982)
2. ज्ञानी जैल सिंह (25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987) 
3. रामास्वामी वेंकटरमन (25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992) 
4. शंकर दयाल शर्मा (25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997) 
5. केआर नारायनन (25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002)
6. एपीजे अब्दुल कलाम (25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007)
7. प्रतिभा पाटिल (25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012)
8. प्रणब मुखर्जी (25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017)
10. रामनाथ कोविंद (25 जुलाई 2017 से 25 जुलाई 2022)

कभी खाली नहीं रहता पद?
भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब कोई दिन बिना राष्ट्रपति के रहा हो. भारत के राष्ट्रपति का पद कभी खाली नहीं रहा है. ना ही राष्ट्रपति कभी छुट्टी लेते हैं. राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद तुरंत नए राष्ट्रपति को शपथ दिला दी जाती है. राष्ट्रपति की मृत्यु होने या किसी अन्य स्थिति पर पद रिक्त रहने की स्थिति में उपराष्ट्रपति उनका कार्यभार संभालते हैं. उपराष्ट्रपति जब राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते हैं तो उससे पहले उनको राष्ट्रपति पद की शपथ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिलाते हैं. अगर फिर भी किसी कारणवश उपराष्ट्रपति का पद भी रिक्त हो तो यह जिम्मेदारी देश के चीफ जस्टिस संभालते हैं, सीजेआई का भी पद रिक्त होने की स्थिति में यह जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज के कंधे पर आ जाती है.

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उपराष्ट्रपति के पास आ जाती हैं सारी शक्तियां
अगर कभी राष्ट्रपति के इस्तीफा देने की नौबत आती है तो इस स्थिति में उप उपराष्ट्रपति का पद अहम हो जाता है. राष्ट्रपति अपना पत्र उपराष्ट्रपति को सौंप कर इस्तीफा दे सकते हैं. राष्ट्रपति का पद 6 महीने से अधिक समय तक रिक्त नहीं रह सकता है.

कौन दिलाता है राष्ट्रपति पद की शपथ?
अब सवाल यह भी उठता है कि राष्ट्रपति को शपथ कौन और क्यों दिलाता है. इसका जवाब है सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ही राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाते हैं. अगर किसी कारण से चीफ जस्टिस उपस्थित नहीं हो पाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के सामने राष्ट्रपति शपथ लेते हैं. हांलांकि ऐसा बिरले ही होता है. शपथ के बाद राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है.

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किस चीज की शपथ लेते हैं राष्ट्रपति?
"मैं (नाम) ईश्वर की शपथ लेता/लेती हूं कि मैं श्रद्धापूर्वक भारत के राष्ट्रपति के पद का कार्यपालन करूंगा/करूंगी तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा/करूंगी, और मैं भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूंगा/रहूंगी."

राष्ट्रपति के पास कौन-कौन सी शक्तियां होती हैं? 
भारत के संविधान में राष्ट्रपति की शक्तियों का स्पष्ट उल्लेख है. संसद से पास होने वाले हर अध्यादेश, कानून को बिना राष्ट्रपति के अनुमति के लागू नहीं किया जा सकता है.

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