बस्तरः 7 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसान, बोले- दलालों का संरक्षण कर रही सरकार
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बस्तरः 7 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसान, बोले- दलालों का संरक्षण कर रही सरकार

धरना प्रर्दशन कर रहे किसानों ने कहा कि, 'पिछले दो हफ्ते से किसान कर्ज माफ करने, ट्रैक्टर और सिंचाई पंप फायनेंस में फायनेंस कंपनी द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े की जांच करने की मांग कर रहे हैं'.

फाइल फोटो

बस्तरः चुनावी साल होने के चलते छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोल दिया है. बस्तर के किसानों ने कर्जमाफी सहित 7 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि, अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तो चुनाव में सरकार को इसका नतीजा भुगतना होगा. बुधवार को बस्तर संभाग के सैकड़ों किसानों ने सीरासार परिसर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. धरना प्रर्दशन कर रहे किसानों ने कहा कि, 'पिछले दो हफ्ते से किसान कर्ज माफ करने, ट्रैक्टर और सिंचाई पंप फायनेंस में फायनेंस कंपनी द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े की जांच करने की मांग कर रहे हैं'.  बता दें छत्तीसगढ़ में किसान धान का समर्थन मूल्य 2500 रु. प्रति क्विंटल के हिसाब से दिए जाने और पुलिस द्वारा किसानों पर दर्ज किए गए सभी प्रकरणों को तत्काल समाप्त करने जैसी मांगों को लेकर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. 

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एक हफ्ते के अंदर मांगों को पूरा करने का अल्टीमेटम 
हाल ही में किसानों ने इन मांगों को लेकर राजधानी 300 कि.मी. की रायपुर तक पैदल यात्रा भी की, लेकिन सरकार ने इन मांगों को अनदेखा कर दिया. जिसके बाद हताश होकर वापस लौटे किसानों ने जगदलपुर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर सरकार को हफ्तेभर के अंदर मांगों को पूरा करने का अल्टीमेटम दिया है. प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि, 'अगर एक हफ्ते में उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो वो आंदोलन को तेज करते हुए क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठेंगे. साथ ही आने वाले चुनाव में इसका सरकार को नतीजा भी भुगतना होगा.

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अंत में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा
किसानों की सात सूत्रीय मांगों को लेकर बात करते हुए किसान परिषद के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप गौर ने कहा कि 'शासन और प्रशासन किसानों की बात सुनने की बजाय दलालों का संरक्षण कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी और सीएम रमन सिंह ने किसानों से की लुभावने वादे किए जिनमें से एक वादा पूरा नहीं किया गया. मध्य प्रदेश में जब किसानों ने अपने हक के लिए लड़ाई करनी चाही तो उन पर गोलियां दागी गईं, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा कुछ नहीं होगा. छत्तीसगढ़ के किसानों की मांगें अगर एक सप्ताह के भीतर पूरी नहीं की गईं तो किसान परिषद नगर बंद करेगा और अंत में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा.'

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