छत्तीसगढ़: बच्चे दूषित पानी पीने को मजबूर, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ रही सामने
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छत्तीसगढ़: बच्चे दूषित पानी पीने को मजबूर, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ रही सामने

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में पीएचई विभाग की एक सैंपल रिपोर्ट से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है.

पीएचई विभाग ने देवभोग विकासखंड के 64 स्कूलों में लगे हैंडपंप के पानी की सैंपल की रिपोर्ट पेश की है.

नई दिल्ली/राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में पीएचई विभाग की एक सैंपल रिपोर्ट से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. विभाग ने देवभोग विकासखंड के 64 स्कूलों में लगे हैंडपंप के पानी की सैंपल रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में 30 स्कूलों में फ्लोराईड और 8 स्कूलों में आयरन की मात्रा ज्यादा मिली है. रिपोर्ट के अनुसार आधे से ज्यादा स्कूलों में लगे हैंडपंपों का पानी पीने लायक नही है. रिपोर्ट सामने आने के बाद जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं. 

पीएचई विभाग ने 53 प्राथमिक, 9 माध्यमिक और एक हायर सेकेंडरी स्कूल की रिपोर्ट जारी की है. इसमें सबसे ज्यादा फ्लोराईड 5.10 mg/1 पुरानापानी प्राथमिक शाला में पाया गया है. वहीं सबसे ज्यादा आयरन की मात्रा जामगांव माध्यमिकशाला के पानी में मिली है. अधिकारियों का कहना है कि यह पानी पीना शरीर के लिए ठीक नही है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पहले से ही मालूम है कि उनके गांव का पानी ठीक नही है. वे विभाग से लगातार शुद्ध पेयजल की मांग कर रहे है, मगर विभाग उनकी बात को हमेशा दरकिनार करता रहा है. वहीं जिन स्कूलों के पानी की रिपोर्ट पीएचई विभाग ने जारी की है उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में से एक चौथाई बच्चों के दांत खराब हो गए हैं. कई बच्चों की हड्डियां भी कमजोर होने की बात भी सामने आई है. स्कूलो में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने के लिए शिक्षा विभाग ने संबंधित स्कूलों में RO लगाने की बात कही है. 

आपको बता दें कि शिक्षा विभाग की मांग पर पीएचई विभाग ने 6 महीने बाद देवभोग विकासखंड के 217 स्कूलों में केवल 64 स्कूलों की रिपोर्ट पेश की है. बाकी स्कूलों की रिपोर्ट कब तक आएगी और क्या विकासखंड के सभी गांवों में लगे हैंडपंप के पानी की भी विभाग जांच करेगा. इस विषय पर फिलहाल विभाग के पास कोई जबाव नही है.

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