मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर भोपाल की कोर्ट में मानहानि का केस दायर किया है. मजिस्ट्रेट प्रकाश कुमार उइके की कोर्ट में शिवराज सिंह चौहान की ओर सेv व्यक्तिगत तौर पर यह केस दायर किया गया है.
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नई दिल्लीः मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर कोर्ट में मानहानि का केस दायर किया है. मजिस्ट्रेट प्रकाश कुमार उइके की कोर्ट में शिवराज सिंह चौहान की ओर से व्यक्तिगत तौर पर यह केस दायर किया गया है. सीएम शिवराज द्वारा दायर किए गए इस केस पर अब 5 मई को सुनवाई होनी है. बता दें कि 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सीएम शिवराज द्वारा केके मिश्रा पर लगाए मानहानि के आरोपों को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि निचली अदालत में यह केस पब्लिक प्रोसिक्यूटर द्वारा दायर किया गया है. जबकि मानहानि का मामला व्यक्तिगत होता है.
सीएम शिवराज और पत्नी साधना सिंह पर आरोप
दरअसल, कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने 7 मार्च 2015 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम शिवराज और उनकी पत्नी पर आरोप लगाया था कि सीएम शिवराज की पत्नी और खुद सीएम का व्यापम मामले से सीधा संबंध है. सीएम की पत्नी साधना सिंह के मायके गोंदिया से 19 लोगों का परिवहन आरक्षक भर्ती में चयन हुआ है. मिश्रा ने सीएम शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह पर यह कहते हुए आरोप लगाया था कि उनके द्वारा इन व्यक्तियों के चयन के लिए पैरवी की गई है. साथ ही अधिकारियों पर इन व्यक्तियों के चयन के लिए दबाव बनाया गया है.
मेरी गरिमा को नुकसान पहुंचा : सीएम शिवराज
केके मिश्रा द्वारा लगाए इन आरोपों के बाद सीएम शिवराज ने अपनी तरफ कोर्ट में मानहानि का परिवाद लगाया था. सीएम का कहना था कि इन आरोपों से मेरी छवि धूमिल हुई है. मेरी गरिमा को नुकसान पहुंचाया गया है. केके मिश्रा के इन आरोपों से मेरी इज्जत तार-तार हो गई है, मेरी तरफ लोग संदेह भरी नजरों से देखने लगे हैं, जिसकी वजह से मुझे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
केके मिश्रा को तकनीकि आधार पर सुप्रीम कोर्ट से राहत
सीएम शिवराज के इन आरोपों के बाद केके मिश्रा को भोपाल अदालत ने 17 नवंबर 2017 को इस मामले में 2 साल की कैद और 25 हजार जुर्माने की सजा दी गई थी. भोपाल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मिश्रा ने हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट से राहत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर पब्लिक प्रोसिक्यूटर द्वारा दायर परिवाद को अमान्य माना था और परिवाद के गुण-दोषों पर कोर्ट ने कोई विचार नहीं किया था. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद शिवराज सिंह ने व्यक्तिगत आधार पर यह परिवाद पेश किया है.