शांत स्वभाव के माने जाने वाले सीएम शिवराज सिविल सर्विस डे पर एक अलग ही अंदाज में नजर आए. दरअसल, सिविल सर्विस डे पर सीएम शिवराज प्रशासन अकादमी पहुंचे थे.
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नई दिल्लीः शांत स्वभाव के माने जाने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को सिविल सर्विस डे पर एक अलग ही अंदाज में नजर आए. प्रशासनिक अकादमी में आयोजित कार्यशाला में सीएम शिवराज ने कहा कि अधिकारियों को आपस में शांतिपूर्वक काम करना चाहिए न कि भारत और पाकिस्तान की तरह. दरअसल, सिविल सर्विस डे पर सीएम शिवराज प्रशासन अकादमी पहुंचे थे. इस दौरान सीएम शिवराज ने अफसरों को ऐशो आराम छोड़ने और आपसी गुटबाजी को खत्म करने की सलाह दी. कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से आपस में समन्वय और शांति से काम करने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि कई बार देखा गया है कि अधिकारी अपना अलग-अलग गुट बना लेते हैं और आपस में शत्रुओं की तरह टकराव रखते हैं. आपस में ऐसा व्यवहार बिल्कुल गलत है. अधिकारियों को एक-दूसरे का मित्र बनकर देश सेवा में एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को सिविल सर्विसेज की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए और इसे धूमिल होने से बचाना चाहिए. अधिकारियों को प्रदेश के विकास के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए. प्रदेश में प्रशासन में सुधार के लिए फिर से सोच-विचार की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. अपने भाषण के दौरान सीएम शिवराज ने नौकरशाहों पर भी कड़ी प्रतिक्रिया जताई और कहा कि ये ऐशो-आराम की नौकरी नहीं है. ये एक मिशन है, जिसे पूरा करने के लिए आप सभी को ऐशो-आराम छोड़कर अपने काम पर ध्यान देने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने अफसरों को गीता के श्लोक का संदर्भ देते हुए कि हमेशा अच्छे कार्यकर्ताओं का स्मरण करते रहें इससे आपका जीवन और बेहतर होगा.
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सीएम शिवराज ने कहा कि देश के विकास में सिविल सेवा का महत्वपूर्ण योगदान होता है. ऐसे में जरूरी है कि ये विभाग आपस में सामंजस्य बनाए रखें और देश के लिए कैसे और बेहतर काम किया जा सकता है इस पर चिंतन करें. फैसलों में तेजी और ताकत की जरूरत है और जरूरत है कि इस बात पर भी ध्यान दिया जाए कि कैसे हर योजना का लाभ प्रदेश के हर व्यक्ति तक पहुंचे. अगर कोई योजना असफल होती है तो ये किसी अफसर की नहीं बल्कि पूरी सरकार की असफलता होती है. लोकायुक्त जैसे मामलों में कई बार अफसर फंस तो जाते हैं लेकिन बाद में उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती गुटबाजी के चलते उनके खिलाफ किसी तरह के सबूत मिलते. जिससे कई सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं. अफसरों में ये गुटबाजी काफी तकलीफदेह होता है. इस गुटबाजी के चलते मुझे भारत, पाकिस्तान जैसा लगता है. इसलिए जरूरी है कि सभी अफसर अपने काम को पूरी सच्चाई से करें. ताकि देश के विकास में किसी तरह की बाधा न आए.