बड़वानी जिले की ग्राम पंचायत छोटी खरगोन के किसान की हिम्मत ने 10 एकड़ बंजर को दस साल की मेहनत से हरा भरा कर दिया है.
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भोपाल: बड़वानी जिले की ग्राम पंचायत छोटी खरगोन के किसान की हिम्मत ने 10 एकड़ बंजर को दस साल की मेहनत से हरा भरा कर दिया है. आज बंजर पहाड़ी पर 7 हजार पेड़ लहरा रहे हैं. किसान के इस सामाजिक कार्य को देखते पहले सरकार ने उन्हें रक्षा का अधिकार पत्र दिया था.
एक और जहां सरकार पुरे प्रदेश में पौधे लगाकर लाखों करोड़ों खर्च कर रही है लेकिन नतीजा शून्य है. वहीं राजपुर विकास खंड की ग्राम पंचायत छोटी खरगोन के किसान बद्री केशाजी बर्फा ने स्वयं के खर्च से बंजर पहाड़ी को हराभरा कर एक मिसाल पेश कर दी है. गायत्री शक्ति पीठ से जुड़े बद्री बर्फा पेड़ों का महत्व बखूबी समझते हैं. उसपर गायत्री परिवार के ही वाचक मेवालाल पाटीदार की एक छोटी सी सीख जिसमें वृक्षों का महत्व समझाया गया है. यही बात बद्री बर्फा के जहन में घर कर गई और उसके बाद वृक्ष लगाना उनका जूनून बन गया.
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10 साल में खर्च कर दिए लाखों रुपये
करीब 10 वर्ष पहले ग्राम से ही लगी पहाड़ी जो पूरी तरह से बंजर थी उसे बद्री बर्फा ने चुना. पहाड़ी को हरा भरा करने के लिए बद्री बर्फा ने 500 मीटर ऊंची पहाड़ी पर करीब 10 हजार पौधे लगा दिए. स्वयं के खर्च से पहले तालाब बनाया लेकिन पानी सूख गया फिर कुआं खुदवाया लेकिन बिजली नहीं होने से वह भी बेकार साबित हुआ. इसके बाद 2 लाख रुपये फिर खर्च कर पानी की टंकी का निर्माण करवाया. पाइप लाइन से टंकी में पानी भर कर रोजाना सुबह-शाम बाल्टी से प्रत्येक पेड़ को पानी देना शुरू कर दिया. धूप व खाद देकर पेड़ों की सेवा की हालांकि इस दौरान बद्री के सामने कई कठिनाई भी आई लेकिन पहाड़ी को हराभरा करने का उनका जज्बा नहीं टूटा.
बंजर जमीन पर लहराए 7 हजार पेड़
10 साल की मेहनत के बाद पहाड़ी पर आज 7 हजार से अधिक पौधे लहरा रहे हैं, जिनमें आंवला, बोर, सागौन और त्रिवेणी के पौधे शामिल हैं. बद्री की मेहनत और बंजर पहाड़ी को हरा भरा देख उस समय तत्कालीन एसडीएम नीलकंठ टीकम ने भी पहाड़ी का निरीक्षण किया था और निस्वार्थ पौधों की सेवा कर रहे बद्री बर्फा को सम्मानित कर 10 एकड़ पहाड़ी का अधिकार पत्र सौप दिया था.