मप्रः जूडा की हड़ताल से बिगड़े अस्पतालों के हालात, चार दिन में टले 70 ऑपरेशन
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मप्रः जूडा की हड़ताल से बिगड़े अस्पतालों के हालात, चार दिन में टले 70 ऑपरेशन

23 जून को जारी आदेश में हाई कोर्ट शासकीय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सेस और टेक्निशियंस की हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए इसे जल्द से जल्द खत्म करने के आदेश दिये थे.

चौथे दिन भी जारी है जूडा की हड़ताल

नई दिल्लीः अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अड़े मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल चौथे दिन भी जारी है. हड़ताल के चलते डॉक्टर्स ने मरीजों को देखने और उनका इलाज करने से मना कर दिया है. जिसके चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों को काफी असुविधाओं और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बता दें जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते सभी अस्पतालों में डॉक्टर्स की भारी कमी है. जिसके चलते मरीजों को समय पर न तो इलाज मिल पा रहा है और न ही उनकी समस्या का समाधान हो पा रहा है. जिसके चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन कई मरीजों को न चाहते हुए भी छुट्टी देने को मजबूर है.

हाई कोर्ट ने दिए हड़ताल खत्म करने के आदेश
बता दें जूडा द्वारा हड़ताल पर सख्ती दिखाते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जीएमसी के जूनियर डॉक्टर्स को बिना शर्त हड़ताल वापस लेने के आदेश दिये थे. जिसके बाद जूडा ने इस आदेश के चलते हड़ताल खत्म करने की बात कही थी, लेकिन शासन द्वारा निष्कासित जूनियर डॉक्टर्स को वापस न लेने पर डॉक्टर्स ने भी हड़ताल खत्म करने से मना कर दिया. जिसके चलते जूडा की हड़ताल अब भी जारी है.

घंटो कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे डॉक्टर
वहीं जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते अब अस्पताल आ रहे मरीजों को इलाज के लिए तरसना पड़ रहा है. दूर-दराज के इलाकों से आ रहे मरीजों को घंटो कतार में खड़े होकर अपना नंबर आने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी का आलम यह है कि मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टर्स और स्टाफ को ढूंढना पड़ रहा है. कुछ अस्पतालों में तो गंभीर और इमरजेंसी मरीजों को देखने वाला भी कोई नहीं है. जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन को बिना इलाज के ही मरीजों को छुट्टी देना पड़ रहा है.

निष्कासित डॉक्टर्स को वापस न लेने पर जूडा ने हड़ताल खत्म करने से मना कर दिया
- बता दें कि हड़ताल में जूनियर डॉक्टर्स के अलावा नर्सेस और लैब टेक्नीशिन भी इस हड़ताल में शामिल हैं. जिसके चलते नर्स और लैब टेक्निशियन केवल दो घंटे ड्यूटी कर हड़ताल में शामिल हो जाते हैं. जिसके चलते मरीजों का न तो इलाज हो पा रहा है और न ही उन्हें देखभाल मिल पा रही है.
- बता दें 23 जून को जारी आदेश में हाई कोर्ट शासकीय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सेस और टेक्निशियंस की हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए इसे जल्द से जल्द खत्म करने के आदेश दिये थे, लेकिन निष्कासित डॉक्टर्स को वापस न लेने पर जूडा ने हड़ताल खत्म करने से मना कर दिया.

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