ये भारत में ही हो सकता है! बैंड बाजे से निकली गाय की अंतिम यात्रा, परिवार बोला 'वो हमारी मां थी'
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ये भारत में ही हो सकता है! बैंड बाजे से निकली गाय की अंतिम यात्रा, परिवार बोला 'वो हमारी मां थी'

भंवर सिंह के परिवार और पूरे मोहल्ले ने हिंदू रीति रिवाज के साथ गाय का अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार के दौरान मोहल्ले के लोगों ने गाय के शव को 100 से ज्यादा साड़ियां ओढाई गईं.

ये भारत में ही हो सकता है! बैंड बाजे से निकली गाय की अंतिम यात्रा, परिवार बोला 'वो हमारी मां थी'

मनोज जैन/शाजापुरः हमारे देश में पशुओं और जीवों का भी सम्मान किया जाता है. खासकर गाय को हिंदू धर्म में काफी पूजा जाता है. अब एक ऐसी घटना सामने आयी है, जिसमें इंसानों और पशुओं के बीच का यह रिश्ता मिसाल बन गया है. मध्य प्रदेश के शाजापुर में देखने को मिला है. जहां बैंड बाजे के साथ गाय का अंतिम संस्कार किया गया. इतना ही नहीं गाय के शव को मोहल्ले के लोगों ने 100 से ज्यादा साड़ियां ओढाईं. 

क्या है मामला
शाजापुर के रहने वाले भंवर सिंह खिंची के यहां 20 सालों से रानू नामक गाय को पाला जा रहा था. पूरे परिवार का इस गाय से बहुत स्नेह था और गाय को घर के सदस्य की तरह माना जाता था. मंगलवार को गाय की मौत हो गई. इस पर भंवर सिंह के परिवार और पूरे मोहल्ले ने हिंदू रीति रिवाज के साथ गाय का अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार के दौरान मोहल्ले के लोगों ने गाय के शव को 100 से ज्यादा साड़ियां ओढाई गईं. वहीं नगर पालिका के वाहन में बैंड बाजे के साथ गाय की शवयात्रा निकाली गई. इस दौरान परिवार और मोहल्ले के लोगों की आंखें नम थी. जेसीबी से गड्ढा खोदकर गाय के शव को दफनाया गया. 

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'रानू गाय नहीं हमारी मां थी'
भंवर सिंह ने बताया कि रानू हमारे परिवार के लिए मां जैसी थी. पूरे मोहल्ले की चहेती थी. नाम लेते ही वह पीछे पीछे चल देती थी. रानू की मौत से परिवार दुखी है. गाय नहीं हमारी मां का निधन हुआ है. इसलिए परिवार के सदस्य की तरह अंतिम संस्कार किया गया. बता दें कि इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जहां गाय का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज और सम्मान के साथ किया गया. 

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