उज्जैन में शनिवार को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य सम्मलेन शुरू हुआ. इस सम्मेलन में विश्व भर के करीब 300 से ज्याता ज्योतिष एकत्रित हुए. आइए जानते हैं किस ज्योतिष ने क्या कहा?
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: विक्रम संवत, पंचाग एवं ज्योतिष विषयों पर केंद्रित अंतराष्ट्रीय ज्योतिष महाधिवेशन का दो दिवसीय आयोजन शनिवार को महाकाल की नगरी में कोठी रोड स्थित विक्रमविश्वविधालय के विक्रम कीर्ति मंदिर के ऑडिटोरियम में शुरू हुआ. रविवार को दूसरा व अंतिम दिन होगा. सम्मेलन में विश्व भर से 300 से अधिक ज्योतिषाचार्य ने शिरकत की. इस सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य अपने रिसर्च को एक दूसरे ज्योतिषों से आदान प्रदान करना होता है. लेकिन इस कार्यक्रम में आने वाले कई ज्योतिषों से जब हमने चर्चा की तो टेरो, अंक ज्योतिष, पंचांग ज्योतिष, वास्तु ज्योतिष, फलित ज्योतिष, ब्रह्माणीय ज्योतिष, सिद्धान्तो का ज्ञान रखने वाले व अन्य तमाम ज्योतिषों ने अपनी अपनी बात रखी. किसी ने युवा पीढ़ी को लेकर नव वर्ष व गुड़ी पड़वा पर्व मनाने की बात कही तो किसी ने कुष्ठ रोग के शोध की और किसी ने पंचाग और तिथियों का महत्व बताया. हालांकि साल का यह दूसरा बड़ा सम्मेलन था जो उज्जैन में ही आयोजित हुआ.
जानिए किसने क्या कहा!
गुडगांव से आई ज्योतिषाचार्य जागृति ने कहा कि हमारे जीवन में पंचांग का और तिथि का बड़ा महत्व है. युवा पीढ़ी का नववर्ष अलग है, जैसे 31st और 01 जनवरी, लेकिन हमें उनको समझाना होगा कि गुड़ी पड़वा पर्व ही हमारा हिंदुओं का नववर्ष है, पंचांग में पांच चीजें सबसे ज्यादा जरूरी है, तिथि वार नक्षत्र योग और करण इन पांच अंग से शुभ मुहूर्त देखा जाता है. वहीं दिल्ली सई पल्लवी भारद्वाज ने भी कहा कि 2 दिवसीय इस अधिवेशन में बोलने और समझने के लिए हम पहुंचे हैं, हमारा मानना है कि नववर्ष की शुरुआत होली के बाद विक्रम संवत गुड़ी पड़वा से करनी चाहिए और यही लोगों के बीच पहुंचाना उद्देश्य है. हमारी देश की इम्पोर्टेंस हमारी धरा हमारी भूमि किस चीज से जानी जाती है. हमें लोगों तक पहुंचाना है, इस्कॉन का उदाहरण देते हुए कहा कि कृष्ण हरिभक्ति जो हमने सिखाई देश दुनिया को आज हम भटक रहे हैं, यह जरूरी है लोगों के बीच लाना.
कुष्ठ रोग शोध में पारंगत ज्योतिष पहुंचे!
देवास से आए ज्योतिष सुरेश सोनेरे ने बताया कि शायद वह देश में पहले से ज्योतिष हैं, जिन्होंने कुष्ठ रोग के ज्योतिष कारण और उपचार पर शोध किया है और इसी शोध को वह तमाम ज्योतिषियों के बीच रखने आए हैं. ज्योतिष विद्या से इसका कैसे पता लगाया जा सकता है, जिससे कुष्ठ रोग को फैलने से रोका जा सके और अगर हो गया है, किसी को यह रोग तो कैसे अलग-अलग विधाओं से इसे दूर किया जा सकता है. इन्हीं सब के बारे में मैं प्रेजेंटेशन देने आया हूं.
कैसे आयोजित होता है ये सम्मेलन कौन-कौन से ज्योतिष होते हैं शामिल जानिए।
दरअसल विक्रम संवत, पंचाग एवं ज्योतिष विषयों पर केंद्रित अंतराष्ट्रीय ज्योतिष महाधिवेशन का दो दिवसीय आयोजन विक्रम विश्वविधालय के कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम उज्जैन में पहली बार आयोजित हुआ, जिसमें 300 से अधिक ज्योतिष ने शिरकत की. इससे पहले जो सम्मेलन आयोजित हुआ था वह 26वां अंतराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मलेन उज्जैन के एक निजी होटल में सम्पन्न हुआ था, जिसमें भाग लेने के लिए ना सिर्फ उज्जैन के बल्कि इंदौर, भोपाल सहित अन्य राज्य व देश जिसमें राज्य महाराष्ट्र, गुजरात , राजस्थान, मुम्बई, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित देश नेपाल, दुबई व अन्य जगहों से अपनी अपनी विधा में पारंगत ज्योतिषाचार्य कार्यकम में पंहुचे थे. इस कार्यक्रम में भी देश ही नहीं दुनिया के ज्योतिष पहुंचे हैं सभी ज्योतिषों का मुख्य उद्देश्य वैसे तो वास्तु, टेरो अंक ज्योतिष वास्तु शास्त्र, फलित, ज्योतिष, पंचांग, ब्राह्मणीय ज्योतिष, सिद्धांत जैसे विषयो पर अपने अपने शोध और रिसर्च का आदान प्रदान करना और नयी विधा को सीखना होता है, जिसमें वे अपनी अपनी विधाओं में पारंगत मंच से अपनी अपनी बात रखते है.
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