छत्‍तीसगढ़: नर्सों की हड़ताल से अस्‍पताल हुए पस्‍त, मरीजों का हाल बेहाल
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छत्‍तीसगढ़: नर्सों की हड़ताल से अस्‍पताल हुए पस्‍त, मरीजों का हाल बेहाल

छत्‍तीसगढ़ में नर्सों की हड़ताल से अब जन-जीवन प्रभावि‍त होने लगा है. सरगुजा संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की हालत बत से बत्तर होती जा रही है. 

फाइल फोटो

रायपुर: छत्‍तीसगढ़ में नर्सों की हड़ताल से अब जन-जीवन प्रभावि‍त होने लगा है. सरगुजा संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की हालत बत से बत्तर होती जा रही है. जहां एक ओर छत्तीसगढ़ में नर्से अपने मांग को लेकर हड़ताल हैं तो दूसरी ओर मरीज और मरीज के परिजन बेहाल हैं. इनकी सुनने वाला कोई नही हैं. सरकारी अस्पताल में चल रही हड़ताल के बाद मरीज अब निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं. 

मरीजों के परिजनों का कहना है कि जिला अस्पताल में ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है और प्राईवेट अस्पताल ले जाने से पहले यहां से छुट्टी लेनी होगी डॉक्टर साहब तो वो भी नहीं कर रहे हैं. कहते हैं कि आप बिना छुट्टी के ले जाओ. इसी तरह मरीजों के परिजनों से बात करने पर पता चला कि तीन से चार दिन हो गए हैं और डॉक्टर देखने भी नहीं आए हैं. 300 बेड वाले अस्पताल को ट्रेंनिग करने वाली नर्सें चला रही हैं.

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इस पूरे मामले की जानकारी अस्पताल के अधीक्षक को दी गई तो उन्होंने ने बताया कि ऐसी कोई अव्यवस्था नहीं है. अस्पताल में हमारे यहां पर्याप्त स्टाफ है. नर्सें हड़ताल में गई हैं तो उनकी जगह कॉलेज में ट्रेंनिग करने वाली छात्राओं के द्वारा संचालित किया जा रहा है. लेकिन अधीक्षक ने ये भी माना कि व्यवस्थाएं थोड़ी गड़बड़ तो हुई हैं, जैसे- अस्पताल में सर्जरी होती है वह नहीं हो पा रही है. अधीक्षक ने कहा कि उनकी जो मांगे है वह शासन स्तर की बातें हैं और हम उसमें क्या कर सकते हैं. 

छत्तीसगढ़ में नर्सों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्‍य सुविधाएं चरमराई हुई हैं तो वहीं  अम्बिकापुर के जिला अस्पताल की 60 नर्सें हड़ताल पर हैं. दूसरी ओर इस गर्मी से मरीजों  का बुरा हाल है. इनकी कोई सुनने वाला नहीं है जिसका खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है. 

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