रायसेनः सावन के पहले सोमवार में भोजेश्वर मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
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रायसेनः सावन के पहले सोमवार में भोजेश्वर मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़

यह भारत की प्राचीन धरोहरों में से एक है. भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा संरक्षित यह स्थान जल्द ही यूनिस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जाने वाला है.

10 वीं सदी में राजा भोज ने कराया था भोजेश्वर मंदिर का निर्माण

विजय सिंह राठौर/रायसेन/नई दिल्लीः मप्र के रायसेन जिले में स्थित भोजपुर शिव मंदिर में सावन के पहले सोमवार को भक्तों की सुबह 5 बजे से ही काफी भीड़ जमा हो गई थी. इस दौरान भोपाल, रायसेन सहित आसपास के इलाके से हजारों श्रद्धालु भोजपुर शिव मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचे. सावन के महीने में विशेषकर सोमवार को यहां शिव भक्तों का काफी जमावड़ा रहता है. बता दें भोजेश्वर मंदिर 10वीं सदी में राजा भोज के समय का विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग मंदिर है.  इस प्रसिद्ध शिव मंदिर में देश दुनिया से भक्त आते हैं और यहां आकर शिव भक्ति में लीन हो जाते हैं.

  1. 10वीं सदी में हुआ था भोजेश्वर मंदिर का निर्माण
  2. राजा भोज ने कराया था भोजपुर का निर्माण
  3. राजा भोज के नाम पर रखा गया भोजपुर नाम

यूनिस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जाने वाला है भोजेश्वर मंदिर
बता दें भोजपुर के भोजेश्वर मंदिर का धार्मिक के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी है. यह भारत की प्राचीन धरोहरों में से एक है. भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा संरक्षित यह स्थान जल्द ही यूनिस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जाने वाला है. भीड़ को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध मंदिर के आसपास किये हैं. यहां मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है. भगवान भोले नाथ उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.

10वीं सदी में हुआ था भोजेश्वर मंदिर का निर्माण
भराहुआ नक्काशीदार गुम्बद और पत्थर की संरचनाएं, जटिल नक्काशी से तैयार किये गए प्रवेश द्वार और उनके दोनों तरफ उत्कृष्टता से गढ़ी गई आकृतियां देखने वालों का स्वागत करती हैं. मंदिर की बालकनियों को विशाल कोष्ठक और खंभों का सहारा दिया गया है. मंदिर की बाहरी दीवारों और ढांचे को कभी बनाया ही नहीं गया. मंदिर को गुंबद के स्तर तक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया मिट्टी का रैम्प अभी तक दिखाई पड़ता है. जो हमें इमारत निर्माण कला में पुरातन बुद्धिमत्ता का स्वाद चखाता है.

राजा भोज ने करवाया था मंदिर का निर्माण
भोजपुर, बलुआ पत्थर की रिज जो मध्य भारत की विशेषता है. यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. बेतवा नदी पुनः बनाए गए इस प्राचीन शहर के पास बहती है जो भोजपुर पर्यटन में पुरानी दुनिया के आकर्षण का समावेश करती है. भोजपुर का यह नाम परमार राजवंश के सबसे शानदार शासक राजा 'भोज' के नाम पर रखा गया था. भोजपुर और उसके आसपास के पर्यटन स्थल भोजेश्वर मंदिर को पूर्व के सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है जो भारत की उन अद्भुत संरचनाओं वाली इमारतों में से एक है, जिसे एक बार जरूर देखा जाना चाहिए.

प्राचीन धरोहर है भोजेश्वर मंदिर
इस प्राचीन शहर के दैत्य जैसे बांधों के अवशेष आपको आश्चर्य में डाल देंगे. 'अधूरा' होने का तथ्य ही इस प्राचीन शहर को अनूठी गुणवत्ता प्रदान करता है. उन चट्टानी खदानों में जाना बहुत ही रोमांचकारी होता है जहां आप हाथ से तराशे गए पत्थर के मूर्ति शिल्प को देख सकते हैं. जो कभी एक पूरे मंदिर या महल का रूप नहीं ले पाए. हर दूसरे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल पर आप प्राचीन शहर के खंडहरों का निरीक्षण कर सकते हैं. पर यहाँ वास्तव में वो शहर है जो कभी पूरा ही नहीं किया गया. मंदिर में देश-दुनिया से भक्त आते हैं और शिव भक्ति में लीन हो जाते हैं.

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