मौत का हाईवे! जहां साइरस मिस्त्री की जान गई, वहां इस साल सड़क हादसों में 62 लोगों की हुई मौत
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मौत का हाईवे! जहां साइरस मिस्त्री की जान गई, वहां इस साल सड़क हादसों में 62 लोगों की हुई मौत

जिस जगह टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में जान गई, उस हाईवे पर इस साल 262 सड़क हादसों में अब तक 62 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 

मौत का हाईवे! जहां साइरस मिस्त्री की जान गई, वहां इस साल सड़क हादसों में 62 लोगों की हुई मौत

नई दिल्लीः महाराष्ट्र के पालघर में हुए एक सड़क हादसे में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत की खबर से पूरा देश स्तब्ध रह गया था. अब जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर गोडबंदर से लेकर दपचारी तक के 100 किलोमीटर के इलाके में इस साल 262 सड़क हादसे हुए हैं. इन सड़क हादसों में 62 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है, वहीं 192 लोग घायल हुए हैं. 

ये हैं हादसों की वजह
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, तेज गति और ड्राइवर की लापरवाही हादसे की बड़ी वजहें रही हैं. हालांकि खराब सड़क, सड़क संकेतों की कमी और स्पीड कंट्रोल करने वाले उपायों की कमी भी सड़क हादसों का प्रमुख कारण रही है. साइरस मिस्त्री की कार का एक्सीडेंट चरोटी नामक जगह पर हुआ. उसी जगह पर इस साल अभी तक 25 सड़क हादसों में 26 लोगों की मौत हुई है. 

हाईवे पर मौजूद हैं ब्लैक स्पॉट
महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, चरोटी की तरह ही मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर स्थित चिनचोटी इलाके में भी इस साल 34 सड़क हादसों में 25 लोगों की जान गई है. मानोर इलाके में भी इस साल हुए सड़क हादसों में 11 लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं. चरोटी इलाके में सड़क हादसों की प्रमुख वजह हाईवे का खराब डिजाइन है. जब अहमदाबाद से मुंबई की तरफ आते हैं तो चरोटी इलाके में सूर्या नदी पर स्थित पुल तीन लेन से दो लेन का हो जाता है. साथ ही यहां इसके बारे में जानकारी देने के लिए कोई सड़क संकेत भी नहीं हैं. यही वजह है कि यहां अक्सर तेज गति वाले वाहन सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं. 

जिस सड़क हादसे में साइरस मिस्त्री की मौत हुई, उसमें भी उनकी कार रोड डिवाइडर से ही टकराई. जिसमें साइरस मिस्त्री समेत दो लोगों की मौत हो गई थी.

टोल वसूलने वाली एजेंसी जिम्मेदार
मुंबई अहमदाबाद हाईवे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अंडर आता है लेकिन एनएचएआई ने इसके रखरखाव की जिम्मेदारी टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी के पास है. एजेंसी को सुरक्षा उपायों के तहत हर 30 किलोमीटर के इलाके में एक एंबुलेंस रखनी चाहिए और एक क्रेन और गश्त करने वाले वाहन भी तैनात रहने चाहिए लेकिन एजेंसी द्वारा इसमें लापरवाही की गई.  

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