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मध्य प्रदेश की वह तोप, जिसके चलने से गिर जाते थे महिलाओं के गर्भ

Baldeogarh in Tikamgarh: टीकमगढ़ जिले में आने वाला बल्देवगढ़ शहर अपने किले के लिए मशहूर है, इसके अलावा यह इस किले में एक प्रसिद्ध तोप भी रखी हुई है. 

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बल्देवगढ़ नगर पंचायत टीकमगढ़ शहर से 26 किलोमीटर दूर स्थित है. इस शहर का किला पर्यटन का केंद्र है. लोग इसके बनावट और खास कर इसकी तोप को देखने आते हैं

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बल्देवगढ़ के इस किले का निर्माण बुंदेला राजा विक्रमादित्य सिंह बुंदेला ने मराठों के आतंक से भयभीत होकर 18 वीं शताब्दी में कराया था. तब छिपने के लिए इस किले का उपयोग किया जाता था.

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विक्रमादित्य सिंह 1783 ईसवीं में अपनी राजधानी ओरछा से टीकमगढ़ ले आए थे. इस दौरान सैन्य स्थिति को मजबूत करने के लिए और युद्ध सामग्री रखने के लिए इस किले को तैयार करवाया गया था.

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सैन्य अड्डा होने के चलते कई तोप किले में तैनात की गईं थी, लेकिन इनमें से इक तोप जिसे भवानी के नाम से जाना जाता है, कहा जाता है कि भवानी शंकर तोप को गर्भ गिरावन तोप के नाम से जाना जाता है, उसने अपनी गरज के बदौलत काफी प्रसिद्धि बटोरी थी. 

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इस तोप को गर्भ गिरावन का यह नाम इसके वेग की वजह से मिला है. शहर के बुजुर्ग बताते हैं कि जब यह तोप युद्ध के समय चलती थी, तब इसके वेग से गर्भवती माताओं के गर्भ गिर जाते थे.

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ग्रामीणों का कहना है कि यह तोप सिर्फ एक बार सैकड़ो वर्षों पहले चलाई गई थी, तोप चलने के बाद 12 कोस की महिलाओं के गर्भ गिर गए थे. इस वजह से इसको बुर्ज में रखवा दिया गया था. 

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इस तोप को लेकर यह किंवदंती भी है कि इसका एक तरफ से नाप करने पर नाप कुछ निकलता है, लेकिन दूसरी तरफ से नाप करने पर उसके नाप में अंतर आ जाता है. इसका नाप कभी कम जाता है कभी बढ़ जाता है.

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इसी तोप के चलते बुंदेलखंड में कहावत चलती है कि "बल्देवगढ़ की तोप हो रहे" जिसका अर्थ है बहुत बड़ी हस्ती बन रहे हो. 

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तोप बुर्ज में रखी हुई थी. इसे सार्वजनिक स्थल पर रखने के लिए जेसीबी की मदद से बुर्ज से निकलवाया गया था. तोप को हिफाजत से रखते चबूतरे का निर्माण किया गया, लेकिन आज भी यह तोप लापरवाही के कारण खुले में पड़ी हुई है.