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Gangaur 2024: आज से निमाड़-मालवा के सबसे बड़ा लोक पर्व की धूम, जानें क्या है गणगौर की कहानी

Khargone Gangaur 2024: गणगौर निमाड़ का सबसे बड़ा लोकपर्व है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया से प्रारंभ होकर चतुर्दशी तक मनाया जाता है. यह त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है. इस त्योहार में महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन औ की कामना के लिए व्रत रखती हैं. यह त्यौहार खरगोन अंचल में धूमधाम से मनाया जाता है.

 

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गणगौर उत्सव खरगोन सहित पूरे निमाड़ का सबसे बड़ा त्योहार है. चैत्र की नवरात्रि में मनाया जाने वाला यह त्यौहार खरगोन क्षेत्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. आज गुरुवार को तीसरे दिन माता की बाड़ी खुली.

 

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सुबह से ही महिलाएं अपने परिवार के साथ बड़ी तैयारी के साथ देवी मां की पूजा करने पहुंचीं. माता रूपी ज्वारों की पूजा की गई. पहले सभी ने पंडितजी के घर पर माता की पूजा की, फिर जिन्हें माता को रथ में बैठाकर घर ले जाना था वे अपने परिवार के साथ पहुंचे और ढोल-नगाड़ों, झांझ-मंजीरों के साथ माता को घर ले गए.

 

गणगौर पर्व की कहानी

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गणगौर पर्व की कहानी

शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती ने भी अखंड सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी। इसी तपस्या के दौरान उन्होंने गणगौर का व्रत रखा था. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती और सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया था.

 

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ऐसा माना जाता है कि जहां विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर त्योहार पर व्रत रखती हैं और विशेष पूजा करती हैं. वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए गणगौर त्योहार पर व्रत रखती हैं.

 

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महिलाएं प्रतिदिन गणगौर माता की पूजा करती हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाती हैं. गणगौर उत्सव के आखिरी दिन महिलाएं गणगौर माता की शोभा यात्रा निकालती हैं.

 

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इस शोभा यात्रा में महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर लोक गीत गाते हुए और नृत्य करते हुए शहर की सड़कों पर घूमती हैं. और हर्षोल्लास के साथ त्योहार को मनाती हैं.