Jaipur: भूजल संकट से बचाव के लिए मंथन, राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग
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Jaipur: भूजल संकट से बचाव के लिए मंथन, राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग

Jaipur News: राजस्थान में भूजल संकट को लेकर विशेषज्ञों ने वाटर रिचार्ज के लिए मंथन किया. इससे निपटने के लिए मंगलवार से दो दिन की कार्यशाला शुरू हुई, जिसमें एक बार फिर राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठी.

 

Jaipur: भूजल संकट से बचाव के लिए मंथन, राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग

Jaipur: राजस्थान में भूजल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. इसको लेकर सात राज्यों के विशेषज्ञों द्धारा वाटर रिचार्ज के लिए मंथन किया जा रहा है. भूजल संकट से निपटने के लिए मंगलवार से दो दिन की कार्यशाला शुरू हुई.भूजल मंत्री महेश जोशी और अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने कार्यशाला का उद्घाटन किया.जिसमें एक बार फिर से राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठी.

राजस्थान में भूजल की स्थिति पर लगातार संकट मंडरा रहा है. 295 में से केवल 38 ब्लॉक ही सुरक्षित है,जबकि 203 ब्लॉक अतिदोहित है.इसलिए आज आने वाले भविष्य के लिए भूजल स्तर पर मंथन होना जरूरी है.भूजल विभाग की ओर से हुए कार्यशाला शुरू हुई.

इस दौरान भूजल और जलदाय मंत्री महेश जोशी ने केंद्र सरकार से राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन राजस्थान में सफल भी हो जाएंगा,लेकिन नलों में पानी कहा से आएगा.क्योकि राज्य में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है.

दूसरी तरफ भूजल और जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने उदाहरण देते हुए बताया कि जब मैं बीकानेर कलक्टर था,तब मुझे पानी की महत्ता समझ में आई.उन्होंने कहा कि पूरे देश में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है.

इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि परिस्थतियों के मुताबिक रोड मैप आना चाहिए,क्योकि कोटा में अलग परिस्थिति है,दूसरे जिलों में कुछ और.राजस्थान में एक एक घर जल लाने की कीमत 1 लाख,2 लाख,ढाई लाख तक पहुंच रही है.

अब हम राजस्थान के भूजल स्तर पर बात करे तो प्रदेश की 295 में से 203 ब्लॉक में भूजल का अतिदोहन हो रहा है.अतिदोहन का मतलब ये होता है जिन इलाकों में जमीन के नीचे से पानी तो अधिक ले रहे है,लेकिन जमीन में पानी कम रिचार्ज हो रहा है.

2013 में डार्क जोन की संख्या 164 थी,जो 2017 में बढकर 185 हो गई और अब ये आकंडा 203 तक पहुंच गया है.अब राजस्थान में सिर्फ 38 ब्लॉक ही सुरक्षित बचे है.पिछले तीन दशकों में भूजल में मरूधरा की तस्वीर ही बदल गई.भूजल का दोहन 3 दशकों में 35 से बढकर 115 प्रतिशत तक पहुंच गया है.ऐसे में आम जनता भूजल स्तर को बढाने में सहयोग करना चाहिए.

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