जयपुर मेट्रो की 300 करोड़ रुपए की जमीन पर राजस्थान पुलिस की वक्र दृष्टि, PHQ ने सरकार से मांगी जमीन
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जयपुर मेट्रो की 300 करोड़ रुपए की जमीन पर राजस्थान पुलिस की वक्र दृष्टि, PHQ ने सरकार से मांगी जमीन

Jaipur News : जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को आवंटित जमीन की PHQ ने सरकार से राज्य सरकार से मांग की है. हालांकि ये मामला अभी राज्य सरकार के पास विचाराधीन है.

फाइल फोटो.

Jaipur News : जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की बेशकीमती करीब 300 करोड़ रुपए की जमीन पर पुलिस महकमे की वक्र दृष्टि पड़ गई है. पुलिस मुख्यालय ने राज्य सरकार से लालकोठी सब्जी मंडी के पास स्थित मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को आवंटित जमीन यह जमीन मांगी है. वहीं, दूसरी ओर जयपुर मेट्रो ने घाटे से उबारने के लिए जमीन को महत्वपूर्ण जरिया बताते हुए पुलिस की इस मांग का विरोध किया है.हालांकि फिलहाल मामला राज्य सरकार के पास विचाराधीन है.

कृषि उपज मंडी की जमीन को लेने की कोशिश में

कहते हैं पुलिस की नजर न अच्छी और न ही बुरी. जिस पर भी पड़ जाए उसके लिए खतरा साबित होती है. राजस्थान पुलिस की नजर अब जयपुर मेट्रो की बेशकीमती जमीन पर पड़ी है. पुलिस जयपुर मेट्रो रेल को आवंटित लालकोठी कृषि उपज मंडी की जमीन को लेने की कोशिश में है. दरअसल राज्य सरकार ने 13 अक्टूबर 2008 कृषि उपज मंडी समिति लाल कोठी की अघोषित मंडी प्रांगण की 39505 वर्गमीटर भूमि आवाप्त किया था.

 वर्तमान में यह जमीन खाली पड़ी हुई है

इसमें से 20,000 वर्गमीटर भूमि वर्तमान पुलिस मुख्यालय के भवन निर्माण के लिए वर्ष 2008 में आवंटित की गई थी. इसके बाद कृषि उपज मंडी समिति लाल कोठी, जयपुर की 19505 वर्गमीटर भूमि जयपुर मैट्रो रेल कॉरपोरेशन को आवंटित कर दी गई. वर्तमान में यह जमीन खाली पड़ी हुई है. पुलिस मुख्यालय परिसर के पीछे जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की इस खाली पड़ी 19505 वर्गमीटर भूमि को पुलिस विभाग के नाम आवंटित कराने के लिए राज्य सरकार से मांग कर डाली.

पुलिस ने जमीन आवंटित कराने के लिए कई प्रकार के तर्क दिए हैं, डीजीपी की ओर से राज्य सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया कि वर्तमान में मुख्यालय का वर्ष 2013 में तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुसार स्थापित किया गया था, पर पिछले 10 वर्षों में अधिकारियों और विभिन्न शाखाओं का विस्तार हुआ है, जैसे एसडीआरएफ, एससीआरवी, साईवर काईम, भर्ती, पदौन्नति बोर्ड, कम्न्यूनिटी पुलिससिंग एवं पुलिस हाऊसिंग आदि. इन सभी शाखाओं के सुचारू रूप से संचालन के लिए वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में जगह का अत्यधिक अभाव हो गया है.

प्रदेश की कानून-व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने व अपराधों पर प्रभावी नियन्त्रण स्थापित करने की दृष्टि से साइबर अपराधों की रोकथाम, Digital Ecosystem की साइबर खतरों से सुरक्षा को मजबूत करने, साइबर अपराधों के बारे में आमजन को जागरुक करने उद्देश्य से पुलिस विभाग में राशि 50 करोड़ रुपए की लागत से Center for Cyber Security के लिए भवन की आवश्यकता भी है.

वर्तमान में जयपुर में पुलिस विभाग में ऐसी कोई भूमि अथवा भवन उपलब्ध नहीं है, जिसे Center for Cyber Security के संचालन के लिए आवंटित किया जा सके. साइबर अपराधों की बढ़ती प्रवृति, उसके विविध रूपों और इसकी भविष्यगत चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए साइबर सिक्योरिटी विंग के लिए पृथक से कार्यालय भवन बनाए जाने की नितांत आवश्यकता है. इसी तरह राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों (SCRB) तदर्थ रूप से पुलिस मुख्यालय में कक्ष आवंटित किए हुए हैं, जिसकी वजह से उच्चाधिकारियों, उनके स्टाफ के लिए मुख्यालय में कक्ष उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.

जयपुर मेट्रों रेल कॉरपोरेशन को आवंटित उक्त 19505 वर्गमीटर भूमि को Center for Cyber Seeurity व राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों (SCRB) के पृथक भवन एवम् पुलिस विभाग के अन्य भवनों के निर्माण के लिए पुलिस विभाग के नाम आवंटित करवाएं, ताकि पुलिस विभाग के सभी महत्वपूर्ण कार्यालयों को एक स्थान पर ही संचालित किया जाना संभव कराया जा सके.

इधर मेट्रो ने तर्क दिया कि पुलिस विभाग के अनुरोध पर पीएचक्यू के लिए 33/11 केवी सब स्टेशन के निर्माण के लिए आवंटित 19505 वर्गमीटर भूमि में से 300 वर्गमीटर भूमि जेवीवीएनएल को 26 जून 2015 को आवंटित की गई थी. नतीजतन, लाल कोठी में जेएमआरसी के कब्जे में अब 19205 वर्ग मीटर जमीन है.

मामला राज्य सरकार के पास विचाराधीन है

यदि दीर्घकालिक लीज के आधार पर व्यावसायिक रूप से विकसित किया जाता है, तो इससे 55 करोड़ रुपए की अग्रिम राशि और 60 वर्षों तक चक्रवृद्धि वृद्धि के साथ 10-12 करोड़ रुपये का वार्षिक आवर्ती राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है.जबकि वर्तमान डीएलसी दरों पर भूमि का अनुमानित मूल्य 281 करोड़ रुपये है.ऐसे में जयपुर मेट्रो के घाटे को पूरा करने के लिए यह जमीन व्यावसायिक रूप से विकसित किया जाना आवश्यक है, फिलहाल मामला राज्य सरकार के पास विचाराधीन है.

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