पंचतत्व में विलीन हुए शहीद सुमेर सिंह, राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
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पंचतत्व में विलीन हुए शहीद सुमेर सिंह, राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

शहीद सुमेर सिंह का उनके पैतृक गांव गुढ़ा बावनी में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. हजारों की संख्या लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. शहीद सुमेर सिंह की पार्थिव देह सुबह गुढ़ागौड़जी पहुंची.

पंचतत्व में विलीन हुए शहीद सुमेर सिंह, राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

Udaipurwati: झुंझुनूं में आज शहीद सुमेर सिंह का उनके पैतृक गांव गुढ़ा बावनी में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. हजारों की संख्या लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. शहीद सुमेर सिंह की पार्थिव देह सुबह गुढ़ागौड़जी पहुंची. इसके बाद उनकी पार्थिव देह तिरंगा रैली के साथ उनके पैतृक गांव गुढ़ा बावनी के लिए रवाना हुई. 

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गुढ़ागौड़जी से गुढ़ा बावनी तक निकाली गई इस 5 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा के दौरान रास्ते में जगह-जगह लोगों ने शहीद को नमन कर श्रद्धांजलि दी. अलसुबह से ही इलाके में रुक-रुक कर बारिश हो रही थी. फिर भी लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर डटे रहे. हर कोई झुंझुनूं के गुढ़ा बावनी के लाल की शहादत पर गर्व महसूस कर रहा था. शहीद सुमेर सिंह की पार्थिव देह गुढ़ा बावनी गांव के मार्ग से होती हुई तिरंगा यात्रा के साथ उनके पैतृक आवास पहुंची. जैसे ही उनकी पार्थिव देह घर पहुंची तो घर में कोहराम मच गया.

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शहीद की पत्नी और बेटी सहित परिजनों का रो -रो कर बुरा हाल हो गया. उधर, शहीद को अंतिम नमन करने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांव के लोग और जनप्रतिनिधि पहुंचे. परिवारिक रस्मों रिवाजों के बाद उनकी पार्थिव देह को अंत्येष्टि स्थल ले जाया गया. जहां पर सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा, सांसद नरेंद्र कुमार, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी, जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी, एसपी मृदुल कच्छावा, भाजपा जिलाध्यक्ष पवन मावंडिया, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुधींद्र मूंड आदि ने पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

इसके बाद जाट रेजीमेंट की बटालियन द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. शहीद सुमेर सिंह की चिता को उनके 8 वर्षीय बेटे कृष ने मुखाग्नि दी. आपको बता दें कि एमपी के बबीना में युद्धाभ्यास के दौरान टैंक का बैरल फटने से दो जवान शहीद हो गए थे. उनमें से एक झुंझुनूं के सुमेरसिंह भी थे. गुढ़ा बावनी निवासी सुमेर सिंह 1998 में सेना में भर्ती हुए थे. वहीं आर्म्ड फोर्स में तैनात थे. सुमेर सिंह के साथ इस घटना में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के गांव हरन पुकुरिया निवासी गनर सुकांता मंडल भी शहीद हो गए थे.

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फोन कर दीपावली पर आने की बात कही थी

युद्धाभ्यास के दौरान शहीद हुए सुमेर सिंह दीपावली पर घर आने वाले थे. उनके भाई बोदूराम ने बताया कि दो दिन पहले भी भाई का फोन आया था. तब उन्होंने दीपावली पर घर आने की बात कहीं थी. घर और गांव के हालचाल भी पूछे थे. सुमेर सिंह नवंबर 1998 में सेना में भर्ती हुए थे. उनके साथी ओमप्रकाश लोचिब ने बताया कि सुमेर मिलनसार था और छुट्टी आने पर सबसे मिलकर जाता था. उसने देश सेवा का जज्बा शुरू से ही था.

डेढ माह पहले ही गए थे

शहीद के भाई बोदूराम ने बताया कि भाई को खोने का दुख है, मगर इस बात का गर्व है कि उनका भाई देश के लिए शहीद हुआ है. शहीद सुमेर सिंह के एक बेटी और बेटा है. बेटी भावना (15) कक्षा 11 में और बेटा कृष (8) तीसरी कक्षा में पढ़ते हैं. सुमेर सिंह डेढ़ माह पहले ही छुट्टी बिताकर गए थे. पांच भाइयों और एक बहन में सुमेर सिंह सबसे छोटे थे. शहीद वीरांगना सुमन गुढागौड़जी के एक निजी स्कूल में टीचर है.

Reporter- Sandeep Kedia

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