उदयपुर में चीकू(बाघ टी-104 ) मांगे इंसाफ, गोली के ओवरडोज से गई जान, आखिरी पल में झेला भयंकर दर्द
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उदयपुर में चीकू(बाघ टी-104 ) मांगे इंसाफ, गोली के ओवरडोज से गई जान, आखिरी पल में झेला भयंकर दर्द

 Udaipur news: उदयपुर में  बाघ टी-104 (चीकू) की मौत हो गई है. रणथंभौर से उदयपुर लाने के बाद महज  5 घंटे के बाद ही चीकू ने दुनिया से अलविदा कह दिया. दवा के ओवर डोज के असर सेउसकी हालत बिगड़ी., लेकिन बायो पार्क में देर रात हालत बिगड़ने पर उसका ध्यान रखने वाला भी काेई नहीं था.

उदयपुर में चीकू(बाघ टी-104 ) मांगे इंसाफ, गोली के ओवरडोज से गई जान, आखिरी पल में झेला भयंकर दर्द

Udaipur news: तपतपाती गर्मी में जहां इंसान का निकलना मुश्किल है वहां बेजुबानों की हालत तो जानलेवा है. उसपे भी अगर उनके रखरखाव में जरा सी असावधानी होती है तो वह उसे सीधे मौत के मुंह तक पहुंचा देती है. इसी लापरवाही के जलते उदयपुर में  बाघ टी-104 (चीकू) की मौत हो गई है. रणथंभौर से उदयपुर लाने के बाद महज  5 घंटे के बाद ही चीकू ने दुनिया से अलविदा कह दिया.

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 लंग्स और लीवर में था इंफेक्शन
बताया जा रहा है णथंभौर से उदयपुर लाने के  लिए चीकू को वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे  बेहोश करने के लिए 4 बार में दी गई 19 मिलीलीटर दवा  दी गई जिसे वह झेल नहीं  पाया. और रात में उसने दम तोड़ दिया. साथ ही कहा यह भी  जा रहा है कि लंग्स और लीवर में इंफेक्शन भी था.

विशेषज्ञों का इस बारे में कहना है कि जिस दवा को ओवर डोज चीकू को दिया गया उसके असर से  वह थर्मल शॉक का शिकार हो गया, लेकिन बायो पार्क में देर रात हालत बिगड़ने पर उसका ध्यान रखने वाला भी काेई नहीं था. उसे ट्रेंक्युलाइज करने के लिए विशेषज्ञ को नहीं बुलाने, शिफ्टिंग में जल्दबाजी और पोस्टमार्टम को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. 

चीकू की अचानक हुई मौत से वन विभाग के कर्मचारियों के हाथ पैर फूल गए. जिसपर सीसीएफ आर.के. खेरवा ने मामले पर संज्ञान लेते हुए बताया कि केस की जांच के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने टीम बना दी है.जांच रिपाेर्ट 15 दिन में आएगी. टाइगर के सैंपल भी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली को भेज दी है.

बता दें कि इससे पहले भी बायाे पार्क में चेन्नई से 2 टाइगर, बेंगलुरू से 4 शेर के अलावा कूनाे और सूरत से वन्यजीव लाए जा चुके हैं. इन्हें उदयपुर से विभाग के शूटर डीपी शर्मा ने एक ही डॉट में ट्रेंक्युलाइज कर दिया था. ऐसे में किसी भी वन्यजीव को कोई नुकसान नहीं हुआ था.

बिग कैट्स  होते हैं गर्म जानवर
विशेषज्ञों के अनुसार  बिल्ली की प्रजाति के बिग कैट्स काफी गर्म जानवर होते हैं. यह ज्यादा गर्मी नहीं धेल सकते है. फिर भी वन विभाग के कर्मचारियों ने चीकू को  बेहोश की दवा दी . जिसके ज्यादा होने से चीकू को ओवर हीटिंग हो गई. फिर उसे 40 डिग्री गर्मी में 400 किमी सफर कराया गया. जिसक गर्मी में लोगों के पसीने छूट जाते है उसमें बेचारे बेजूबान को महज बर्फ की सिल्लीयों के सहारे शिफ्टिंग की. कर्मचारियों का कहना है उसके लंग्स में पहले से  समस्या थी  जिसके कारण उसकी डेथ हुई. तो इसके मायने ये कि चीकू अस्थमेटिक था. यानी किसी भी सूरत में वह लंबे सफर के लिए फिट नहीं था.

चीकू को मारे 4 डॉट
चीकू की शिफ्टिंग इतनी जल्दबाजी में की गई थी कि किसी को भनक भी नहीं लगने दी गई. सोमवार तक विभाग और अधिकारियों ने इसके संकेत नहीं दिए थे. सूत्रों का कहना है कि शिफ्टिंग के ऑर्डर उसी दिन मिले थे. दूसरे ही दिन आनन-फानन में टाइगर को वनपाल राजवीर सिंह ने डॉट मारकर ट्रेंक्यूलाइज किया. रणथंभौर में वन्यजीवों को ट्रेंक्यूलाइज करने वाले सिंह ने चीकू को 4 डॉट मारे. 

जानकारों का कहना है कि जानवर को अमूमन एक ही डॉट में ट्रेंक्युलाइज कर दिया जाता था. डॉट का प्रेशर गाेली लगने जितना हाेता है. इसके दबाव से एक बार जानवर गिर जाता है, फिर बेहाेश हाेने लगता है. यानी 4 डॉट में चीकू ने भयंकर दबाव झेला. डाेज लगने से शरीर में हीट बढ़ जाती है.

विशेषज्ञ बोले- टाइगर बीमार था तो सफर नहीं करवाया जाना था
पशुपालन विभाग के सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक डॉ. ललित जोशी का कहना है कि टाइगर चीकू अगर पहले से ही बीमार था तो उसे सफर नहीं करवाना था. जैसा कि बताया जा रहा है कि उसे बेहोशी की दवा का 19 मिलीलीटर डोज दे दिया गया था. तो यह मात्रा तो टाइगर या किसी भी जानवर के वजन के हिसाब से डॉक्टर ही तय करते हैं. दवा के ओवर डोज से थर्मल शॉक, शॉट के स्ट्रेस और सफर असुविधाजनक होने पर मौत हो सकती है. वैसे ओवर डोज की स्थिति में बचाव करने के लिए एंटी डॉट भी दिया जाता है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई

वही दूसरी तरफ चीकू की मौत के बाद से वन विभाग की हालत खराब है. बाघ टी-104 (चीकू) की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है. इसमें उसकी मौत का वही कारण दोहराया गया है, जो  बताया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौत लंग्स और लीवर के डैमेज होने और झिल्ली में खराबी से हुई है. दूसरी ओर, उदयपुर का वन विभाग मौत के पीछे ट्रंक्यूलाइज किए जाने के दौरान दी गई. ज्यादा डोज को कारण मान रहा है. इस संबंध में उसने रिपोर्ट भी तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के पास भेजा जाएगा.

अधिकारी बताते हैं कि सामान्य ताैर पर सुरक्षा कारणाें काे देखते हुए वाइल्ड एनिमल काे बेहोश करने कुछ मात्रा में एक्स्ट्रा डाेज देते हैं. लेकिन चीकू के मामले में मात्रा बहुत ज्यादा दी गई, जबकि उसे पहले से ही शारीरिक समस्या थी. भास्कर ने 11 मई के अंक में ही खुलासा कर दिया था कि टाइगर काे 4 बार मेें साढ़े 19 एमएल दवा दी गई,जो उसकी मौत का कारण बनी.

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