देश-दुनिया में होती है कुमाऊं की खड़ी होली की चर्चा, वर्षों पुरानी चली आ रही परंपरा
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देश-दुनिया में होती है कुमाऊं की खड़ी होली की चर्चा, वर्षों पुरानी चली आ रही परंपरा

Uttarakhand Holi 2024 : कुमाऊं में होली के मौके पर पुरुष और महिलाएं विशेष कपड़ों का धारण करते हैं. पुरुष जहां सफेद कुर्ते पजामे के साथ नजर आते हैं तो वहीं महिलाएं लाल बॉर्डर से बनी हुई सफेद साड़ी में नजर आती हैं. 

फाइल फोटो

Uttarakhand Holi 2024 : देश में हर जगह होली का अपना अलग रंग दिखता है. उत्तराखंड की होली की बात करें तो इसका इतिहास काफी पुराना है. उत्तराखंड के कुमाऊं की होली बहुत खास मानी जाती है. कुमाऊं में ढोल नगाड़ों की धुन और लय-ताल और नृत्य के साथ गाई जाने वाली खड़ी होली अपना विशेष स्थान रखती है. संगीत सुरों के बीच बैठकी होली के भक्ति, शृंगार, संयोग, वियोग से भरे गीत गाने की परंपरा कुमाऊं अंचल के गांव-गांव में चली आ रही है. 

कदम ताल के साथ खड़ी होली गायन 
एकादशी को रंगों की शुरुआत के बाद गांव-गांव में ढोल-झांझर और पैरों की विशेष कदम ताल के साथ खड़ी होली गायन चलता है. इसी दिन चीर बंधन के साथ शिव स्तुति से होली गायन शुरू हो जाता है. इसमें शिव के मन माहि बसे काशी..., हरि धरै मुकुट खेले होरी... शामिल है. आध्यात्मिक रसों, भक्ति, शृंगार आदि से जुड़ीं होलियों का गायन छरड़ी तक किया जाता है.  इसके अलावा परिवार, समाज में होने वाली विभिन्न घटनाओं, स्त्री पुरुष प्रसंग, हास्य ठिठोली से भरी होलियां भी गाई जाती हैं. 

बसंत पंचमी से शुरू हो जाती है होली 
राजधानी देहरादून में बड़े पैमाने पर कुमाऊनी होली का आयोजन किया जाता है. कुमाऊं में होली के तीन प्रकार हैं. बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली. बैठकी होली का आयोजन बसंत पंचमी के साथ शुरू हो जाता है. वहीं खड़ी होली का आयोजन रंग एकादशी के साथ होता है. उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत और होली के कुछ प्रमुख होलियारों में शामिल मनमोहन बताते हैं कि किस तरह से होली का आयोजन होता है और कैसे इनके गीत राग और रागिनियों में आधारित होते हैं.

महिला-पुरुष मिलकर करते हैं नाच-गाना 
कुमाऊं में होली के मौके पर पुरुष और महिलाएं विशेष कपड़ों का धारण करते हैं. पुरुष जहां सफेद कुर्ते पजामे के साथ नजर आते हैं तो वहीं महिलाएं लाल बॉर्डर से बनी हुई सफेद साड़ी में नजर आती हैं. पुरुष और महिलाएं सामूहिक तौर पर मिलकर होली के गायन करती हैं. इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों के संगीत में लोग नाचते गाते झूमते हैं.

नई पीढ़ी में भी उत्‍साह 
कुमाऊं की होली को लेकर नई पीढ़ी में भी उत्साह देखा जा रहा है, जिस तरह ब्रज और अवध की होली का अपना अलग रंग है. उसी तरह पहाड़ में कुमाऊं अंचल की इस होली का भी एक अलग रंग है. सिर्फ संगीत पर आधारित यह होली अद्भुत है और अलग है. इसमें देवताओं का आवाहन भी होता है और राजाओं की कीर्ति का भी वर्णन किया जाता है. 

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