कैराना: सिर्फ 10वीं पास हैं BJP को टक्कर दे रहीं तबस्सुम हसन, राजनीति में उन्हें कहा जाता है 'मास्टर'
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कैराना: सिर्फ 10वीं पास हैं BJP को टक्कर दे रहीं तबस्सुम हसन, राजनीति में उन्हें कहा जाता है 'मास्टर'

कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद प्रत्‍याशी तबस्सुम हसन को राजनीति का लंबा अनुभव है. वह कैराना उपचुनाव में मजबूत उम्मीदवार हैं. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद प्रत्‍याशी तबस्सुम हसन को राजनीति का लंबा अनुभव है. वह कैराना उपचुनाव में मजबूत उम्मीदवार हैं. राजनीति के मैदान में उन्हें मास्टर कहा जाता है. कहते हैं वह आंकड़ों के खेल की माहिर हैं. कैराना की बहू कहलाने वाली तबस्सुम हसन की राजनीति की सबसे बड़ी परीक्षा इस बार है. यहां से उनकी चमक और बढ़ेगी या फिर एक लंबा विराम लगेगा यह तय होगा. आपको बता दें, साल 2009 में कैराना सीट से समाजवादी पार्टी की सांसद रह चुकी हैं. उनके पति मुनव्वर हसन 1996 में यहां से सांसद थे और बाद में 2004 में वो बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर के सांसद बने. 

  1. रालोद प्रत्‍याशी तबस्सुम हसन को राजनीति का लंबा अनुभव
  2. 2009 में पहली बार तबस्सुम हसन लोकसभा सांसद बनीं
  3. राजनीति की मास्टर तबस्सुम हसन सिर्फ हाईस्कूल तक शिक्षित

परिवार की राजनीति में लंबी पारी
तबस्सुम के ससुर अख्तर हसन 1984 में कैराना से कांग्रेस के सांसद थे. तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन कैराना विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, यानी तबस्सुम के परिवार का कैराना लोकसभा ही नहीं बल्कि मुजफ्फरनगर लोकसभा में भी काफी दखल है. इस क्षेत्र की तीन बड़ी पार्टियों कांग्रेस, बीएसपी और एसपी से इस परिवार के रिश्ते तीन पीढ़ी पुराने हैं. ऐसे में अब जब आरएलडी से भी रिश्ता जुड़ गया है.

पहली बार सांसद बनी तबस्‍सुम
2009 में मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन बसपा के टिकट पर कैराना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. 2014 में लोकसभा सदस्य बनने के बाद जब हुकुम सिंह ने कैराना विधानसभा सीट खाली की तो ये सीट एक बार फिर हसन परिवार के पास आ गई. उस वक्त मुनव्वर हसन और तबस्सुम हसन के बेटे नाहिद हसन ने सपा के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने मृगांका सिंह को हराकर यहां जीत दर्ज की थी. 

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कई दलों में घूमी हसन परिवार का राजनीति
दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की तरह हसन परिवार भी कई राजनीतिक दलों के बीच घूमती रही है. 1984 में चौधरी अख्तर हसन कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए. उनकी राजनीतिक विरासत उनके बेटे चौधरी मुनव्वर हसन ने संभाली और 1991 में पहली बार वो कैराना सीट से विधायक बने. इस चुनाव में उन्होंने हुकुम सिंह को हराया था. साल 1993 में भी मुनव्वर हसन विधायक बने. 1996 में कैराना लोकसभा सीट से वो सपा के टिकट पर और 2004 में सपा-रालोद गठबंधन के टिकट पर मुजफ़्फरनगर से सांसद चुने गए. मुनव्वर हसन राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्य भी रहे.

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10वीं पास हैं तबस्सुम हसन
राजनीति में मास्टर कही जाने वाली तबस्सुम हसन सिर्फ हाईस्कूल तक शिक्षित हैं. शिक्षा के मामले में तबस्सुम हसन बेशक बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी न हों, लेकिन उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव है. राजनीति उन्हें विरासत में मिली है. उनके पति एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने चारों सदन का प्रतिनिधित्व किया.

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