Farrukhabad News: यूपी में लोकसभा चुनाव में एक ऐसे प्रत्याशी चुनाव लड़ने की तैयारी में है जो चुनाव का सारा खर्चा अपनी पेंशन से उठाते हैं. तो वहीं उनके सामने चुनावी मैदान में हैं 182 करोड़ की संपत्ति के मालिक. पढ़िए पूरा मामला...
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Farrukhabad News/Arun Singh: यूपी के फर्रुखाबाद जिले में लोकसभा चुनाव में एक ऐसा भी प्रत्याशी मैदान में है जो विगत 27 वर्षों से चुनाव लड़ रहा है परंतु कभी जीत हासिल नहीं कर पाया है. इस बार के लोकसभा चुनाव प्रत्याशी का 8वां चुनाव होगा. खास बात यह है कि वह चुनाव अपनी पेंशन से लड़ते हैं. प्रचार के लिए पैदल चलकर करते हैं जनता से संवाद. तो वहीं उनका मुकाबला एक ऐसे प्रत्याशी से है जो 182 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. विगत 27 वर्षों में उन्हें सबसे ज्यादा 9000 वोट मिले हैं.
पेंशन से खरीदते हैं चुनाव का टिकट
फर्रुखाबाद से एक ऐसे उम्मीदवार की चुनावी दावेदारी को हम बता रहे हैं जो भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद अपनी पेंशन से चुनाव का टिकट खरीदते हैं. चुनाव का टिकट उनकी 1 महीने की पेंशन से आता है. तो दूसरी महीने की पेंशन से चुनाव में खर्च कर चुनाव लड़ते हैं. इस प्रत्याशी का नाम है विद्या प्रकाश कुरील.
पैदल चलकर मांगते हैं वोट
आज कल चुनाव में जहां प्रत्याशियों के पास गाड़ियों का काफिला, सुरक्षा के लिए गनर और करोड़ों रुपए का खर्च होता होता है वहीं विद्या प्रकाश कुरील 75 साल की उम्र में भी देश को बदलने की चाह रखते हैं और पैदल चलकर लोगों से वोट मांगते हैं. शायद जनता ने इनको कभी नोटिस भी नहीं किया होगा लेकिन जज्बा देखिए सेना के मैडल सीने पर टोपी सर पर और जीत के लिए कदम से कदम बढ़ाते नजर आते हैं.
चुनाव चिन्ह सीटी
विगत 27 वर्षों में आठवां चुनाव लड़ रहे हैं. एक बार उनकी पत्नी भी चुनाव लड़ चुकी हैं. आम तौर पर विद्या प्रकाश कुरील निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और चुनाव चिह्न सीटी रखते हैं. और यहा तक की प्रचार भी सीटी बजाकर करते हैं. हालांकि इस बार उन्होंने पंजीकृत दल से नामांकन किया है, तो सीटी चुनाव चिह्न नहीं मिल सका है.
भारतीय थल सेना से हैं सेवानिवृत्त
भारतीय थल सेना में जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त होने के बाद से वह दलितों व वंचितों के हक की आवाज उठाते चले आ रहे हैं. सबसे पहले वर्ष 1997 में उन्होंने विधानसभा चुनाव से अपने चुनाव लड़ने के अभियान की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1998 व 1999 लोकसभा का भी चुनाव लड़ा था. वर्ष 2002 में विधानसभा और 2004 व 2019 में लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने प्रतिभाग किया. इसके बाद उन्होंने 2022 में वाराणसी से भी चुनाव लड़ा था.
पिता से विरासत में मिली राजनीतिक सोच
राजनीतिक सोच उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है. जो अपने जमाने में आंबेडकर व अच्युतानंद के साथ रहे थे. आम तौर पर निर्दलीय ही मैदान में उतरने वाले विद्या प्रकाश कुरील इस बार भारतीय जवान किसान पार्टी के उम्मीदवार हैं. उनका दावा है कि सैन्य जवान, किसान, महिलाएं, युवा व वरिष्ठ नागरिकों का उन्हें समर्थन मिल रहा है.
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