Hamirpur loksabha seat: इस सीट से उठती रही बुंदेलखंड प्रथक राज्य की मांग, कांग्रेस के गढ़ में ऐसी बदली हवा 24 हैट्रिक लगा सकती है भाजपा!
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Hamirpur loksabha seat: इस सीट से उठती रही बुंदेलखंड प्रथक राज्य की मांग, कांग्रेस के गढ़ में ऐसी बदली हवा 24 हैट्रिक लगा सकती है भाजपा!

Hamirpur loksabha seat: यमुना और वेतवा नदी के बीच बसा हुए लाल रेत भूमि वाला शहर हमीरपुर बुंदेलखंड की राजनीती में अहम भूमिका निभाता है. हमीरपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर आजादी के बाद कांग्रेस का परचम लहराता रहा. 1977 लोकसभा चुनाव के बाद थोड़ी हवा बदली. आइए जानते है क्या है 2024 के समीकरण

Hamirpur lok sabha seat

Hamirpur lok sabha seat: यमुना और वेतवा नदी के बीच बसा हुए लाल रेत भूमि वाला शहर हमीरपुर बुंदेलखंड की राजनीती में अहम भूमिका निभाता है. इस सीट से दो बार के विजेता रहे सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को भाजपा 2024 के मैदान में उतार चुकी है.  हमीरपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर आजादी के बाद कांग्रेस का परचम लहराता रहा. 1977 लोकसभा चुनाव के बाद थोड़ी हवा बदली. और फिर दौर आया राम लहर का आखिरकार 1991 में राम लहर में भाजपा ने यहां कमल खिलाया. 99 तक आते- आते बसपा ने भाजपा से ये सीट छीन ली. आगे सपा को भी मौका मिला लेकिन 2014 से फिर से एक बार मोदी लहर ने काम कर दिया और ये सीट भाजपा के खाते में चली गई. तब से अभी तक इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है. 

पिछले दो लोकसभा चुनावों के परिणाम
पिछले दो लोकसभा चुनावों की बात करें तो हमीरपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने पुष्पेंद्र सिंह चंदेल पर विश्वास दिखाया.  भाजपा ने इन्हें 2014 टिकट दिया और पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की. इन चुनावों में सपा दूसरे स्थान पर थी. पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पिछली बार बसपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी. इस बार भी भाजपा से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की थी.  वहीं वर्तमान सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को भाजपा फिर से 2024 के लिए मैदान में उतार चुकी है. ऐसे में इस बार कांग्रेस से गठबंधन कर सपा को इस सीट से जरूर उम्मीदें होंगी. उसने काफी पहले अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया.

2024 लोकसभा चुनाव में सपा (+कांग्रेस) का गणित 
सपा (+कांग्रेस) की ओर से इस सीट पर वर्तमान सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के विरोध अजेंद्र सिंह राजपूत को उतारा जा चुका है. PDA फॉर्मूले को साधते हुए अखिलेश यादव ने हमीरपुर लोकसभा सीट से अजेंद्र सिंह राजपूत को टिकट दिया है. उनके पिता जनसंघ और कांग्रेस से विधायक रहे हैं. इस बार सपा (+कांग्रेस) के गठबंधन को इस सीट से काफी उम्मीद नजर आ रही है. लेकिन वर्तमान सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के सामने अजेंद्र सिंह राजपूत को ये लड़ाई इतनी आसान नहीं होने वाली है. 

इस सीट का सबसे बड़ा मुद्दा, बुंलेदखंड प्रथक राज्य
बुंदेलखंड लोकसभा सीट का गणित हमेशा से बुंदेलखंड राज्य प्रथक करने को लेकर रहा है. यहां के नेताओं ने हमेशा ही इसी विषय को लेकर अपनी बात सामने रखी है. किसी भी पार्टी का नेता हो अगर वह हमीरपुर लोकसभा सीट से राजनीती करता है. तो ये नेता हमेशा बुंदेलखंड राज्य की मांग उठाते रहे हैं. भाजपा सांसद ने भी एक साल पहले कहा था कि एमपी और यूपी के कुछ हिस्सों को अलग कर नया बुंदेलखंड राज्य बनाना चाहिए. उनका तर्क था कि यह एक विशेष क्षेत्र है, जिसकी अपनी संस्कृति है.  

हमीरपुर लोकसभा सीट में विधानसभाएं
वैसे तो हमीरपुर 2011 की जनगणना के अनुसार यह महोबा और चित्रकूट के बाद यूपी का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है. इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभाएं आती है. इसमें हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी और तिंदवारी शामिल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन सभी विधानसभाओं पर  काटे की टक्कर देखने को मिली थी. इनमें से दो विधानसभा महोबा जिले में. दो हमीरपुर जिले में और बची एक बांदा जिले में आती है. वर्तमान में इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. 

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संसदीय क्षेत्र हमीरपुर का राजनैतिक इतिहास
संसदीय क्षेत्र हमीरपुर की बात करें तो यहां पर आजादी के बाद से ही कांग्रेस का परचम बुलंद रहा है.  इस सीट पर पहली बार कांग्रेस ने मन्नूलाल द्विवेदी को प्रत्याशी बनाकर उतारा था. जिन्होंने जीत हासिल कर कांग्रेस का परचम लहराया था. इसके बाद लगातार 5 बार इस सीट से कांग्रेस ने जीत दर्ज की. फिर बीच में तालमेल गड़बड़ाया और 1977 में सीट जनता दल के खाते में चली गई. लेकिन फिर कांग्रेस ने शानदार वापसी की और 1980, 1984 फिर से सरकार बनाई. लेकिन फिर  91 वें राम लहर ने हवा का रूख बदल दिया और सीट को भाजपा के पक्ष में धकेल दिया. वर्तमान में भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा है.  

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इसी सीट का जातीय समीकरण
हमीरपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर लोधी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. वोटरों की कुल संख्या करीब 18 लाख है. इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी करीब 23 प्रतिशत है. इसके अलावा राजपूत, ब्राह्मण और मल्लाह बड़ी संख्या में हैं. मुसलमान वोटर करीब 9 फीसदी हैं. इस सीट पर हमेशा हर पार्टी लोधी और ब्राह्मणों को साधने का प्रयास करती है. लेकिन देखा जाए तो यहां किसी भी दल की हार जीत में जाती बड़ा फैक्टर नहीं है. यहां की जनता समय- समय पर प्रयोग करती रहती है. वो ज्यादा समय तक एक पार्टी को मौका नहीं देती. 

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