क्या मां-बेटे की जोड़ी तोड़ पाएगा सपा-कांग्रेस गठबंधन?, यूपी की इस सीट पर 3 दशक से छाया है BJP का जादू
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क्या मां-बेटे की जोड़ी तोड़ पाएगा सपा-कांग्रेस गठबंधन?, यूपी की इस सीट पर 3 दशक से छाया है BJP का जादू

Pilibhi Lok Sabha Election 2024: बात प्रदेश की सबसे हॉट सीट पीलीभीत की करें तो यहां पर लगभग पिछले 30 सालों मां-बेटे का जादू चल रहा है. ये सीट भारतीय जतना पार्टी का गढ़ मानी जाती है. आइए जानते है क्या कहते है 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पीलीभीत लोकसभा सीट के समीकरण

 

Pilibhi Lok Sabha seat

Pilibhi Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है. धीरे-धीरे सभी राजनैतिक दल उम्मीदवारों को मैदान में उतारने लगे है. ऐसे में बात अगर पीलीभीत लोकसभा सीट की करें तो ये प्रदेश की हॉट सीटों में से एक है. इस सीट को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर पिछले 30 सालों से मां-बेटे का जादू चल रहा है. जिस तरह से अमेठी-रायबरेली की सीट सोनिया और राहुल गांधी के लिए मशहूर है, ठीक उसी प्रकार पीलीभीत की सीट मेनका और वरूण गांधी के लिए जानी जाती है. 

भारतीय जनता पार्टी का गढ़ 
भाजपा का गढ़ कहे जाने वाली पीलीभीत लोकसभा सीट पर कभी मेनका गांधी तो कभी वरुण गांधी सांसद रहे हैं. वर्तमान में भाजपा से सांसद वरुण गांधी ही हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री छह बार सांसद रह चुकीं मेनका गांधी इस समय सुलतानपुर की सांसद हैं. ये कहना भी गलत नहीं होगा कि लगभग 30 सालों से मां-बेटे का पीलीभीत लोकसभा सीट पर जादू बरकरार है. 25 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली इस सीट पर मुसलमान ज्यादातर साइकिल पर भरोसा करते है. लेकिन कुछ मुस्लिम जमात ऐसी भी है जो दबे पांव भाजपा को पसंद करती है. 

इस सीट पर गांधी परिवार का राजनैतिक सफर
मेनका गांधी ने 1989 में पहली बार जनता दल के उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत लोकसभा सीट जीती और उसके बाद 1996 से 2004 के बीच चार बार संसद सदस्य रहीं. दो बार निर्दलीय और एक बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में. उन्होंने 2009 में बेटे वरुण गांधी के लिए सीट खाली कर दी और उन्होंने सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा. लेकिन 2014 में वह वापस पीलीभीत लोकसभा सीट पर आई और छठी बार सांसद चुनी गई. 2019 में मेनका गांधी ने एक बार फिर वरुण गांधी के साथ सीटों की अदला-बदली की है. वरुण को पीलीभीत और मेनका ने सुलतानपुर से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. आने वाले कुछ समय में फिर से चुनाव होने वाले है. देखना ये होगा कि क्या इस बार फिर से राजतिलक होता है या मां- बेटे की ये जोड़ी टूट जाती है. 

पीलीभीत का जातीय समीकरण
भाजपा शासित इस सीट पर जातीय समीकरण की गणना करें तो पाएगे कि यहां पर हिंदू वोटरों के साथ-साथ 25 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. ये मुस्लिम वोटर साइकिल के पक्ष में रहना ज्यादा पसंद करते है. वहीं दूसरी तरफ कुछ मुसलमान दबे मुंह भाजपा को समर्थन देते है.  पूरे लोकसभा क्षेत्र की आबादी की बात करें तो 17 लाख से ज्यादा आबादी वाले इस शहर में अनुसूचित जाति की करीब 17 प्रतिशत आबादी है. इस सीट में राजपूत, ब्राह्मण किसानों की आबादी भी ठीक-ठाक है. इन्हें भाजपा का वोटर माना जाता है. पीलीभीत में होने वाले चुनावों में जीत-हार का खेल मुस्लिम और दलित वोटरों के हाथ में रहता है. ऐसा कह सकते है कि जिस तरह इनका वोट गिर जाता है वो प्रत्याशी विजयी हो जाता है. 

2014 के लोकसभा चुनाव पर परिणाम
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मेनका गांधी ने जीत दर्ज की थी. मेनका गांधी को 52.06 फीसदी वोट मिले थे. दूसरे नंबर रहे सपा के बुद्धसेन वर्मा को 22.83 फीसदी मतों पर संतोष करना पड़ा था. बसपा के अनीस अहमद तीसरे नंबर पर रहे थे, जबकि कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी. कांग्रेस ने संजय कपूर को चुनावी मैदान में उतारा था. जिन्हें महज 29169 मतों पर ही संतोष करना पड़ा था.

लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम
पीलीभीत लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम की बात करें तो यहां पर 2019 में कमल खिला था. भारतीय जनता पार्टी से फिरोज वरूण गांधी ने सपा से हेमराज वर्मा को हराया था. इन दोनों के बीच में 2,55,627 वोटों का अंतर रहा था. 2019 में डाले गए मतों का प्रतिशत की बात करें तो कुल 69.1 % मतदान हुआ था. इस सीट पर कुल मतदाता की संख्या 17,30,628 है . जितमे से 2019 लोकसभा चुनाव में कुल 11,86,589 मतदान हुआ था. वरुण गांधी को 59.88 प्रतिशत वोट मिला था.

पीलीभीत लोकसभा सीट का राजनैतिक सफर
पीलीभीत सीट पर पहली बार हुए संसदीय चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से मुकुंद लाल अग्रवाल ने जीत हाशिल की थी. उसके बाद लगातार तीन बार इस सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का कब्जा रहा है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से लगातार तीन बार जीत कर मोहन स्वरूप संसद पहुंचे है. पीलीभीत संसदीय क्षेत्र भारत के उन निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जिसने एक महिला को पांच से अधिक बार भारतीय संसद में भेजा है.  भाजपा ने 1991 के चुनावों में जनता दल की मेनका गांधी को हराकर पीलीभीत संसदीय क्षेत्र पर कब्जा किया था. 2004 तक मेनका गांधी बीजेपी में शामिल हो गई और उन्होंने उस साल बीजेपी के टिकट पर यह सीट जीती थी. आइए एक नजर डालते है कि यहां के राजनैतिक सफर पर  
 
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पांच विधानसभा सीटें
पीलीभीत लोकसभा सीट के अंतरगत पांच विधानसभा सीटें आती है. इनमें से वर्तमान में चार सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है और बची हुई एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में है. आइए जानते है किन सीटों से वर्तामान में कौन है विधायक 
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