बीएसपी प्रमुख मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर बीजेपी पर दलित विरोधी होने का आरोप भी लगाया. यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने मायावती पर साधा निशाना.
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नई दिल्ली : एससी/एसटी एक्ट को लेकर बीएसपी प्रमुख मायावती ने बीजेपी पर हमला बोला है. गुरुवार (5 अप्रैल) को मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि बीजेपी एससी/एसटी एक्ट के मामले में बीएसपी को बदनाम करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने बीजेपी पर दलित विरोधी होने का आरोप भी लगाया. बीएसपी सुप्रीमो ने इस दौरान उनके और पार्टी के ऊपर लगाए जा रहे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. मायावती ने यह भी कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए एससी/एसटी एक्ट का कभी गलत इस्तेमाल नहीं किया गया. बता दें मायावती ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर देशभर में चल रहे दलितों के आंदोलन का समर्थन किया था. मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीएसपी के चारों शासनकाल में विरोधी पार्टियों द्वारा यह प्रचार किया जाता रहा है बीसपी के शासनकाल में गैर दलित खासकर सवर्ण जातियों को उत्पीड़न किया जाता रहा है, जो कि कतई उचित नहीं है.
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पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी कुबूली शासनादेश जारी होने की बात
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और मायावती के करीबी रहे पुलिस अफसर बृजलाल का कहना है कि 2007 में मायावती जब यूपी की मुख्यमंत्री थीं तब एक शासनादेश जारी किया गया था. इसके पीछे मकसद ये था कि दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध पुलिस के रिकॉर्ड में कम दर्ज किए जाएं. जिससे सरकार की यह छवि बने कि दलितों के खिलाफ प्रदेश में अपराध कम हो रहे हैं. बृजलाल का कहना है कि जो रिकॉर्ड में दर्ज है उसे कैसे कोई नकार सकता है.
मायावती ने किया था भारत बंद का समर्थन
बीएसपी प्रमुख मायावती ने 2 अप्रैल को एससी/एसटी एक्ट को लेकर चल रहे आंदोलन का सर्मथन किया था. मायावती ने कहा था, 'मुझे पता चला है कि कुछ लोग प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैला रहे हैं. मैं इसकी घोर निंदा करती हूं. हमारी पार्टी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की किसी घटना के पीछे नहीं है.' बीएसपी चीफ ने कहा था कि हिंसा फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने दावा किया था कि आंदोलन के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों को हिंसा फैलाने के लिए भेजा गया. मायावती ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों को प्रदर्शनों के दौरान हिंसा फैलाने के लिए भेजा गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा.
केंद्र सरकार पर लगाया था आरोप
मायावती ने पहले कहा था कि भारत बंद जैसे आंदोलनों की तीव्रता से मजबूर होकर ही केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में काफी विलम्ब से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई. उन्होंने कहा था कि सरकारी प्रयास केवल दिखावटी, नुमाइशी एवं गुमराह करने वाला नहीं होना चाहिए बल्कि पूरी तैयारी एवं मजबूती से मामले की प्रस्तुति करके एससी-एसटी कानून को दोबारा उसे उसके असली रूप में तत्काल बहाल कराना चाहिए. बीएसपी प्रमुख का कहना था कि अगर केंद्र सरकार संबंधित मामले में समय पर उचित कार्रवाई करती तो भारत बंद की नौबत नहीं आती और न ही कुछ गैर आंदोलनकारी असामाजिक तत्वों को सरकारी लापरवाही के कारण आगजनी व हिंसा आदि करने का मौका मिलता.
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