UP Nikay Chunav 2022: यूपी नगर निकाय चुनाव लड़ना है तो जान लीजिए नए नियम, नहीं तो खतरे में पड़ सकती है उम्मीदवारी!
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UP Nikay Chunav 2022: यूपी नगर निकाय चुनाव लड़ना है तो जान लीजिए नए नियम, नहीं तो खतरे में पड़ सकती है उम्मीदवारी!

 प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में नगर निकाय चुनाव कराए जाने की तैयारी की जा रही है....

प्रतीकात्मक फोटो

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की तैयारियां गति पकड़ने लगी हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं. राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से चुनाव सम्बन्धी दिशा-निर्देश भी जारी होने लगे हैं. इन चुनावों में आयोग की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गए हैं जिसमें उम्मीदवारों के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो आयोग नामांकन को रद्द भी कर सकता है. नामांकन के दौरान प्रत्याशी किसी प्रकार का एक वर्ष से बकायेदार नहीं होना चाहिए. एक साल से बकायेदार निकाय चुनाव लड़ने से वंचित हो सकते हैं. 

नामांकन करने वाले प्रत्‍याशियों के लिए क्‍या हैं शर्तें 
नामांकन के दौरान नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत का एक साल का टैक्स बकाया नहीं होना चाहिए. जब भी उम्मीदवार नामांकन दाखिल करेगा उस समय निकाय के टैक्स का लास्ट बिल लगाया जाएगा. अगर प्रत्याशी आरक्षण की श्रेणी में आता है तो उसके पास जाति प्रमाणपत्र, नोटरी या शपथपत्र होना चाहिए. इसके अलावा आपराधिक पृष्ठभूमि की भी जांच की जाएगी. अपराधिक मुकदमे दर्ज होने पर उसका भी रिकार्ड देना होगा. संपत्ति और दायित्व का विवरण शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करना होगा.

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नगर पालिका और नपं अध्‍यक्ष और महापौर के लिए उम्र की सीमा
नगर निगम के महापौर पद, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 30 साल की उम्र होना जरूरी है. इसी प्रकार नगर निगम के पार्षद, नगर पालिका और नगर पंचायत के लिए 21 वर्ष की आयु होनी चाहिए. उम्मीदवार को आयु का प्रमाणपत्र देना होगा. अगर इसमें गड़बड़ी पाई गई तो नामांकन  रद्द भी हो सकता है.

ये नहीं लड़ सकते निकाय चुनाव
निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक अगर कोई दिवालिया हो, नगर निकाय या उसके नियंत्रण में कोई लाभ का पद धारण करता है, तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता. वह व्यक्ति भी चुनाव नहीं लड़ सकता है, जो किसी सरकारी पोस्ट पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार या राजद्रोह करते हुए दोषी पाया गया हो. इसके साथ ही राज्य सरकार, केन्द्र सरकार, स्थानीय प्राधिकारी की सेवा में होने या जिला सरकारी काउंसिल, अपर या सहायक जिला सरकारी काउंसिल, अवैतनिक मजिस्ट्रेट, अवैतनिक मुंसिफ होने पर चुनाव में उम्मीदवार नहीं बना जा सकता. 

महापौर पद के लिए चुनावी खर्च सीमा तय
यूपी में नगर निकाय चुनाव में 17 महानगर निगम हैं. जहां महापौर के पद के प्रत्याशियों का चुनाव होगा, जिनके खर्च की सीमा इस बार 40 लाख रुपये तय की गई है.  पिछले चुनाव में खर्च की सीमा 25 लाख रुपये थी, यानी इस बार 15 लाख रुपये ज्यादा कर दिया गया है. अगर चुनाव की खर्च सीमा बढ़ जाती  है तो उसी के मुताबिक जमानत राशि और नामांकन पत्र की धनराशि भी बढ़ाई जाती है.

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