ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो इस साल 15वीं सदी के इस महान संत की 620वीं वर्षगांठ और 500वीं पुण्यतिथि है.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जून को सामाजिक कुरीतियों का विरोध करने वाले महान समाज सुधारक संत कबीरदास के समाधि स्थल मगहर जा रहे हैं. इस दौरान यूपी के संत कबीर नगर जिले में स्थित इस स्थल पर एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. इस सिलसिले में पिछले दिनों अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी आगामी प्रस्तावित मगहर यात्रा का जिक्र करते हुए कबीर और गुरू नानक के उपदेशों का जिक्र किया.
दरअसल ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो इस साल 15वीं सदी के इस महान संत की 620वीं वर्षगांठ और 500वीं पुण्यतिथि है. 2019 के लोकसभा चुनावों की आहट के बीच पीएम मोदी की यात्रा को इसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है.
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पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा, ''सच्चा पीर संत वही है जो दूसरों की पीड़ा को जानता और समझता है, जो दूसरे के दुःख को नहीं जानते वे निष्ठुर हैं. कबीरदास जी ने सामाजिक समरसता पर विशेष जोर दिया था. वे अपने समय से बहुत आगे सोचते थे.'' उन्होंने करीब का दोहा भी पढ़ा...''जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय.. यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय.'' कबीर और नानक हमेशा जातिवाद के खिलाफ रहे. यह रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर कहते हैं...''जाति न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान.''
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'कबीर, मगहर क्यों गये थे'
यह सवाल करते हुए कि क्या आप जानते हैं कि कबीर मगहर क्यों गये थे? पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ''उस समय एक धारणा थी कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है, वह स्वर्ग नहीं जाता. इसके उलट काशी में जो शरीर त्याग करता है, वो स्वर्ग जाता है. मगहर को अपवित्र माना जाता था लेकिन संत कबीरदास इस पर विश्वास नहीं करते थे. अपने समय की कुरीतियों और अंधविश्वासों को तोड़ने के लिए वह मगहर गए और वहीं समाधि ली.''