यूपी तक फैला कश्मीर के पत्थरबाजों का जाल, नौकरी के नाम पर दी जाती थी ट्रेनिंग
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यूपी तक फैला कश्मीर के पत्थरबाजों का जाल, नौकरी के नाम पर दी जाती थी ट्रेनिंग

कश्मीर से बचकर आए बागपत और सहारनपुर के युवकों ने बताया कि उन्हें वहां बंधक बनाकर सेना पर पत्थरबाजी के लिए भेजा जाता था. मना करने पर मारपीट की जाती थी.

(प्रतीकात्मक फोटो).

बागपत: जनवरी महीने से कश्मीर में पत्थरबाजों की कैद में रहे बागपत और सहारनपुर जनपद के दर्जनों युवक आखिरकार छूटकर भाग निकलने में सफल रहे. कश्मीर से छूटकर घर पहुंचे पीड़ित युवकों ने बताया कि वे कश्मीर में सिलाई की फैक्ट्री में नौकरी करने गए थे, लेकिन फैक्ट्री मालिक ने कश्मीरियों की मदद से उन्हें बंधक बना लिया और उन्हें पत्थरबाजी करने की ट्रेनिंग देकर सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करने को मजबूर किया. पीड़ितों का कहना है कि जब इन लोगों ने सेना के जवानों पर पत्थरबाजी से इंकार कर दिया तो इन्हें मारा-पीटा जाता था.

इंडस्ट्रियल फर्म में नौकरी करते थे सभी युवक
बड़ौत कोतवाली थाना क्षेत्र के गुराना रोड पर रहने वाले युवक नसीम ने बताया कि वह इसी साल जनवरी महीने के आखिर में बालैनी थाना क्षेत्र के डोलचा गांव निवासी शमीम, ढिकाना गांव निवासी अंकित, सहारनपुर जनपद के नानौता निवासी मोहम्मद अजीम राव, नकुड़ निवासी बबलू और पंकज और अन्य युवकों के साथ कश्मीर के पुलवामा में लस्तीपुरा गए थे. वहां उन्हें डिवाइन इंडस्ट्रियल फर्म में सिलाई की नौकरी मिल गई थी. उसी फैक्ट्री में कश्मीर के भी कई युवक काम करते थे. फैक्ट्री मालिक एजाज वाणी उन पर पत्थरबाजी करने का दवाब बनाने लगा.

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सेना पर जबरन पत्थरबाजी करवाया जाता था
कश्मीर में जब भी सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकाउंटर करते थे, तो आतंकवादी गांव में घुस जाते थे और किसी भी मकान में शरण ले लेते थे. उसके बाद स्थानीय लोग सेना के ध्यान को भटकाने के लिए उन पर पत्थरबाजी शुरू कर देते थे. युवकों ने बताया कि उनके साथ वहां पर मारपीट भी की जाती थी.

एक स्थानीय की मदद से भागने में हुए कामयाब
सेना पर जबरदस्ती पत्थरबाजी से तंग आकर ये लोग वहां से किसी तरह भाग निकलना चाहते थे. वहां से भागने के लिए इनलोगों ने वहां के ही एक स्थानीय शख्स से संपर्क किया. उसने कश्मीर से बाहर निकालने के लिए 10 हजार रुपए मांगे. इन्होंने 10 हजार दिए और किसी तरह कश्मीर से भागकर दिल्ली पहुंचे. दिल्ली पहुंचने के बाद ये लोग अपने-अपने घर चले गए.

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कश्मीरी  वेशभूषा में पत्थरबाजी का काम करवाया जाता था
बड़ौत कोतवाली पहुंचे पीड़ित युवक नसीम ने बताया कि फैक्ट्री मालिक और उनके साथ काम करने वाले कश्मीरी युवक उन पर दवाब बनाते थे कि एनकाउंटर शुरू हो गया है, सेना ने गांव को घेर लिया है. इसलिए, सेना का ध्यान भटकाने के लिए पथराव शुरू कर दो ओर देखते ही देखते चारों ओर से सेना के जवानों पर झुंडों में पत्थरबाजी शुरू हो जाती थी. पीड़ितों की माने तो उन्हें जबरन पत्थरबाजों के साथ भेजा जाता था और पथरबाजी करने के लिए उन्हें कश्मीरी वेशभूषा का कुर्ता पायजामा भी पहनाया जाता था, ताकि वे भी कश्मीरी लगे.

पीड़ितों से पूछताछ कर रही है पुलिस
पीड़ित नसीम ने बताया कि घर पहुंचने के बाद फैक्ट्री मालिक एजाज वाणी ने उसे फोन करके धमकाया भी. उसने फोन पर कहा कि तुमलोग मुझे नहीं जानते हो, अगर मैं चाहूं तो तुम लोगों को दिल्ली से ही उठवा सकता हूं. पीड़ित बागपत कोतवाली पहुंच कर पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है. जी मीडिया पर यह खबर प्रमुखता से दिखाने के बाद यूपी पुलिस हरकत में आई. मेरठ जोन के ADG प्रशांत कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बागपत और सहारनपुर पुलिस को मामले की जांच के आदेश दिए हैं. पुलिस फिलहाल पीड़ितों से पूछताछ कर रही है.

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