Kanpur: यूपी के कानपुर और गोंडा से चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. यहां खुद को जिंदा साबित करने के लिए बुजुर्ग विभागों के चक्कर काट रहे हैं. इन सभी को वृद्धास्था पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. गोंडा डीएम ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
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कानपुर: आपने पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज देखी होगी, जिसमें उन्हें अधिकारियों की मिलीभगत से कागजों में मृत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद वे खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई लड़ते हैं, मगर उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया है. यहां एक दो नहीं बल्कि करीब दो सौ बुजुर्गों को कागजों में मृत घोषित कर दिया गया. इस वजह से बुढ़ापे में इन सब को वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिल पा रही है. गोंडा से भी ऐसे दो मामले सामने आए, जिसके बाद डीएम ने कार्रवाई के निर्देश दिए. खुद को जिंदा साबित करने के लिए सभी समाज कल्याण विभाग के चक्कर काट रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ दिया जाता है. इस योजना में पात्र लोगों को हर महीने एक हजार रुपये दिए जाते हैं. यह पैसा उनके खाते में भेजा जाता है. जिले में करीब दो सौ ऐसे मामले हैं जिसमें लोगों को कागजों में मृत घोषित कर दिया गया, मगर असल में वो जिंदा हैं. लोगों का कहना है कि विभाग के उनका इन सभी लोगों का लेखा जोखा है, मगर अपनी नाकामी छिपाने के अधिकारी इनका सत्यापन नहीं करा रहे हैं.
शिवराजपुर ब्लॉक के रहने वाले राजकुमार की उम्र 68 वर्ष है. समाज क्ल्याण विभाग ने अगस्त 2020 में इन्हें कागजों में मृत घोषित कर दिया, तब से इन्हें पेंशन नहीं मिली है. अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए यह विभाग के चक्कर काट रहे हैं. बिधनू ब्लाक के रहने वाले 65 वर्षीय अब्दुल गानी को करीब 3 साल तक वृद्धावस्था पेंशन मिली. इसके बाद इन्हें साल 2021 में कागजों में मृत घोषित कर दिया गया, तभी से यह पेंशन से वंचित हैं. ये भी खुद को जीवित साबित करने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं.
गोंडा से सामने आए दो मामले
गोंडा के करनैलगंज विकास खण्ड के 6 ग्राम पंचायतों में ग्राम चौपाल का आयोजन किया गया था. इस दौरान एक अनोखा मामला सामने आया. डीएम के पास दो जिंदा बुजुर्ग बेचन और मजीत पहुंचे, जिन्हें कागजों में मृत घोषित कर दिया गया. इस वजह से दोनों को पेंशन योजना का लाभ नहीं मिला रहा है. दोनों लगातार अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहे थे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. ग्राम चौपाल के दौरान दोनों व्यक्तियों ने डीएम से पूरे मामले की शिकायत की, जिस पर डीएम ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए.
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