NOIDA News : नोएडा के बिल्डर पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना, NGT ने दिया एक माह का अल्टीमेटम
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NOIDA News : नोएडा के बिल्डर पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना, NGT ने दिया एक माह का अल्टीमेटम

उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर में सबसे बड़े शहर नोएडा के नामी बिल्डर पर बड़ी कार्रवाई की गई है. उस पर एनजीटी की ओर से 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. एनजीटी की ये बड़ी  कार्रवाई पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर आई है.

Noida Flat Buyers Flat Owners

उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर में सबसे बड़े शहर नोएडा के नामी बिल्डर पर बड़ी कार्रवाई की गई है. उस पर एनजीटी की ओर से 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. एनजीटी की ये बड़ी  कार्रवाई पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर आई है. 15 करोड़ रुपये का जुर्माना इनवायरनमेंट क्लियरेंस के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है .जानकारी के मुताबिक, नोएडा सेक्टर 77 में एक्सप्रेस जेनिथ बिल्डर पर ये कार्रवाई की गई है. NGT के नियमों के उल्लंघन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया गया.

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ग्राउंड प्लस 18 मंजिल की इजाजत बिल्डर ने ली थी. लेकिन रियल एस्टेट कंपनी  ने ग्राउंड प्लस 19 मंजिल बनाई. उसे एक माह में जुर्माने की राशि जमा करने का आदेश दिया गया है. रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में सुपरटेक के ट्विन टावर प्रकरण के बाद एजेंसियों ने सख्त रुख अपनाया है. एनजीटी ही नहीं यूपी रेरा (UP RERA) ने भी इससे पहले बेलगाम बिल्डरों पर कार्रवाई की है.

UP RERA : बिल्डरों पर चला यूपी रेरा का हंटर, 13 बिल्डरों पर लगाया करोड़ों का जुर्माना

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटर अथॉरिटी ( Uttar Pradesh Real Estate Regulatory Authority) ने 13 बिल्डरों पर 1.39 करोड़ रुपये का जुर्माना इसी माह लगाया था.सितंबर 2022 को नोएडा विकास प्राधिकरण की बैठक में ये फैसला लिया गया ता. नोएडा अथॉरिटी के आदेशों के उल्लंघन पर ये कार्रवाई की गई है. बिल्डरों को उनके रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की लागत के 5% तक का जुर्माना लगाया गया है. यूपी रेरा के प्रमोटरों को आदेश के पालन की रिपोर्ट 15 दिन में देने को कहा गया था.

उल्लेखनीय है कि अगस्त में सुपरटेक (Supertech) के 40 मंजिला ट्विन टावर को गिराने की बड़ी घटना हुई थी. पर्यावरण और अन्य मानकों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार का ये बेहद शर्मनाक उदाहरण था. सुपरटेक के खिलाफ रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (Resident Welfare Association)  ने ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी थी. तब जाकर 28 अगस्त को ये बिल्डिंग गिराई गई. 

 

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