यूपी में भी सामने आया 'व्‍यापमं' जैसा मामला, 600 अयोग्‍य छात्र MBBS परीक्षा पास कर बन गए डॉक्‍टर
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यूपी में भी सामने आया 'व्‍यापमं' जैसा मामला, 600 अयोग्‍य छात्र MBBS परीक्षा पास कर बन गए डॉक्‍टर

सोमवार को इस मामले में मुजफ्फरनगर मे‍डिकल कॉलेज के दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया है.

यूपी में 600 से अधिक अयोग्‍य छात्रों के एमबीबीएस परीक्षा पास करने का मामला सामने आया. (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

नई दिल्‍ली : मध्‍य प्रदेश में 2013 में सामने आया व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्‍यापमं घोटाले जैसा ही मामला अब यूपी में भी सामने आया है. मध्‍य प्रदेश में इसके जरिये बड़ी संख्‍या में अयोग्‍य लोगों की भर्तियां की गई थीं. अब यूपी में भी 600 से अधिक अयोग्‍य छात्रों के एमबीबीएस परीक्षा पास करने का मामला सामने आया है. पैसों के बदले इन मेडिकल छात्रों को परीक्षा पास कराने में मदद करने वाले एक रैकेट का भी पर्दाफाश हुआ है.

  1. परीक्षा पास करने के लिए नकल माफिया लेते थे 1 से 1.5 लाख रुपये
  2. STF ने प्रदेश सरकार से की SIT गठित करने की मांग
  3. 2014 से सक्रिय है नकल माफिया का रैकेट

टाइम्‍स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार, रैकेट के जरिये गड़बड़झाले से परीक्षा पास करने वाले ये छात्र डॉक्‍टर भी बन गए. सोमवार (19 मार्च) को इस मामले में मुजफ्फरनगर मे‍डिकल कॉलेज के दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया है. इन दोनों ही छात्रों पर आरोप है कि इन्‍होंने परीक्षा पास करने के लिए नकल माफिया को 1-1 लाख रुपये दिए. 5 कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया है. मामले को उजागर करने वाली एसटीएफ ने मामले की जांच के लिए प्रदेश सरकार से स्‍पेशल इंवेस्टिगेशन टीम गठित करने का अनुरोध किया है.

2014 से सक्रिय है रैकेट
पुलिस के अनुसार, अयोग्‍य छात्रों को मेडिकल परीक्षा पास कराने के लिए मदद कराने वाला रैकेट 2014 से सक्रिय है. इस रैकेट में यूपी के बड़े शिक्षण संस्‍थान मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के भी छह अफसरों समेत नौ लोगों के शामिल होने की बात भी सामने आई है. इनकी पहचान हो गई है. ये सभी आरोपी मेडिकल छात्रों को बड़े स्‍तर पर नकल कराने का काम करते थे.

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मेडिकल छात्रा के जरिये पहुंचे रैकेट त‍क
मामले को उजागर करने वाली स्‍पेशल टास्‍क फोर्स के मुताबिक जिन दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया है, उन्‍हें नकल माफिया तक पहुंचाने में उनके साथ ही पढ़ने वाली मेडिकल छात्रा का हाथ होने की बात सामने आई है. मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में दूसरे साल की इस छात्रा ने ही दोनों मेडिकल छात्रों को नकल माफिया तक पहुंचाया. हालांकि अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है. लेकिन उस पर निगरानी रखी जा रही है. दोनों 15 मार्च को उससे तब मिले थे जब दोनों का सेमेस्‍टर एक्‍जाम खराब हुआ था.

1-1.5 लाख रुपये लेते थे माफिया
एसटीएफ के मुताबिक नकल माफिया रैकेट से जुड़े लोगों ने यूनिवर्सिटी के उस विभाग के अधिकारियों से साठगांठ कर रखी थी, जहां आंसर शीट को जांचा जाता था. उनकी मदद से छात्रों की उत्‍तर पुस्तिकाओं को किसी विशेषज्ञ द्वारा लिखी गई उत्‍तर पुस्तिका से बदला जाता था. नकल माफिया इसके लिए मेडिकल छात्रों से 1-1.5 लाख रुपये तक लेते थे. वहीं दूसरे कोर्स कर रहे छात्रों से वह इसके लिए 30 से 40 हजार रुपये तक वसूलते थे.

गुरुग्राम के डॉक्‍टर का बेटा है एक छात्र
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए दो छात्रों में से एक छात्र आयुष कुमार के पिता गुरुग्राम में स्थित प्रमुख मल्‍टी स्‍पेशियलिटी हॉस्पिटल में डॉक्‍टर हैं. वह हरियाणा के पानीपत का रहने वाला है. दूसरा छात्र स्‍वर्णजीत सिंह है. वह पंजाब के संगरूर का रहने वाला है. दोनों ही मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में दूसरे साल के छात्र हैं.

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आंसर शीट को सील किया
एसटीएफ के अनुसार 2017 में यूनिवर्सिटी में हुए सेमेस्‍टर एक्‍जाम की आंसर शीट के बंडलों को सील कर दिया है. उनके अनुसार इस मामले में यूनिवर्सिटी के कई अन्‍य छात्रों का भी नाम सामने आ सकता है. जांच अभी जारी है. एसटीएफ पिछले वर्षों की भी आंसर शीट को जांच रहे हैं.

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